रतनसुत्त, अंगुलिमाल परित्त एवं सत्य-क्रिया
रतनसुत्त (RATAN SUTTA) (एक बार जब वैशाली नगरी भयंकर रोगों, अमानवी उपद्रवों और दुर्भिक्ष-पीड़ाओं से संतप्त हो उठी, तो इन तीनों प्रकार के दुःखों का शमन करने के लिए महास्थविर आनंद ने भगवान के अनंत गुणों का स्मरण किया।) शत-सहस-कोटि चक्रवालों के वासी सभी देवगण जिसके प्रताप को स्वीकार करते हैं तथा जिसके प्रभाव से […]
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