पगोडाः कृतज्ञता का प्रतीक

म्यंमा के दो श्रद्धालु व्यापारी जब भगवान बुद्ध की केशधातु लेकर अपने देश लौटे तब वहां के लोगों ने श्रद्धापूर्वक इस केशधातु को श्वेडगोन पहाड़ी पर सन्निधानित कर एक पगोडा बनाया। उसके साथ-साथ शहर में सूले पगोडा बना और तट पर बोटठाऊ पगोडा बना। उस समय हो सकता है कि किसी सिरफिरे अदूरदर्शी ने इन […]

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सद्धर्म की शुद्धता 

भारत में भगवान बुद्ध का सद्धर्म क्यों और कैसे लुप्त हुआ, इसे समझने के लिए दो हजार वर्ष पूर्व के इतिहास का निरीक्षण करना होगा। उस समय तक भिक्षुओं में सेक्ख भी थे और असेक्ख भी। सेक्ख माने वह जो अभी सीख रहा है। असेक्ख माने वह जो अरहंत हो गया। यानी जिसे सीखने के

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सद्धर्म की शुद्धता

भारत में भगवान बुद्ध का सद्धर्म क्यों और कैसे लुप्त हुआ, इसे समझने के लिए दो हजार वर्ष पूर्व के इतिहास का निरीक्षण करना होगा। उस समय तक भिक्षुओं में सेक्ख भी थे और असेक्ख भी। सेक्ख माने वह जो अभी सीख रहा है। असेक्ख माने वह जो अरहंत हो गया। यानी जिसे सीखने के

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विपश्यना शिविर – प्रवचनों में प्रयुक्त पालि-पद

“नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स!” – नमस्कार है उन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को! “ये च बुद्धा अतीता च, ये च बुद्धा अनागता। पच्चुप्पना च ये बुद्धा, अहं वन्दामि सब्बदा ॥” – जितने भी बुद्ध हुए हैं अतीत काल में, जितने भी बुद्ध होंगे आने वाले काल में, जितने भी बुद्ध हैं वर्तमान काल में, उन

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तथागत बुद्ध ने कहा – इस संसार मे चार प्रकार के लोग हैं ।

(1) अंधकार से अंधकार की ओर जानेवाले ………. ऐसा व्यक्ति जिसके जीवन में अंधकार हैं , अविद्या हैं, बुरे कर्म करता हैं। अकुशल कर्म करता हैं, बेहोशी में जीवन नष्ट करता हैं । ऐसा व्यक्ति आज तो दुखी हैं ही, लेकिन आगे के लिये भी दुःख के बीज बोता हैं। (2) अंधकार से प्रकाश की

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मन का स्वभाव कैसे बदलें?

सारे कर्मों को सुधारने के लिए मन के कर्मों को सुधारना होता है और मन के कर्म को सुधारने के लिए मन पर पहरा लगाना होता है। कैसे कोई पहरा लगाएगा जब यह ही नहीं जानता कि मन क्या है और कैसे काम करता है ? उसका शरीर से क्या संबंध है ? वह शरीर

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श्रेष्ठ मंगल क्या है?

एक समय भगवान श्रावस्ती नगर के जेतवन उद्यान में श्रेष्टी अनाथपिडिक द्वारा बनवाये संघाराम में विहार कर रहे थे। उस समय भगवान से पूछा गया: – “बहू देवा मनुस्सा च, मङ्गलानि अचिन्तयुं । आकङ्खमाना सोत्थानं, ब्रूहि मङ्गलमुत्तमं ॥” – कल्याण की कामना करते हुए कितने ही देव और मनुष्य मंगल-धर्मों के संबंध में चिंता-मग्न रहे

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धन्य हुई वैशाख पूर्णिमा!

वर्ष – महाशाक्य-राजसंवत, 68 ऋतु – ग्रीष्म मास – वैशाख दिवस – शुक्रवार तिथि – पूर्णिमा नक्षत्र – विशाखा समय – ऊषाकाल ब्रह्म मुहूर्त ग्रीष्म के ताप से उत्तप्त हुई धरती को सारी रात शुद्ध शीतल शर्वरी (ज्योत्स्ना) से नहला कर पूर्णिमा का चांद विश्राम के लिए पश्चिमी क्षितिज की ओर बढ़ रहा है। पूर्वी

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🌺बुद्ध जयन्ती – वैशाख पूर्णिमा🌺

(यह लेख 28 वर्ष पूर्व पूज्य गुरुजी द्वारा म्यंमा(बर्मा) से भारत आने के पूर्व वर्ष 1968 की वैशाख पूर्णिमा पर लिखा गया था जो वहां की ब्रह्म भारती” नामक मासिक पत्रिका में छपा और ‘आल बर्मा हिंदू सेंट्रल बोर्ड रंगून द्वारा पुनः पत्रक के रूप में छपवाकर वितरित किया गया था। आज की वैशाख पूर्णिमा

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द बॅटल ऑफ भीम कोरेगाव फिल्म प्रमोशन के लिए २००० पदो की मेगा भर्ती

JOB VACANCY Post – Marketing and media manager Total Posts – 2000 Educational Qualification – Min 10th Pass

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