तथागत बुद्ध ने कहा – इस संसार मे चार प्रकार के लोग हैं ।

(1) अंधकार से अंधकार की ओर जानेवाले ………. ऐसा व्यक्ति जिसके जीवन में अंधकार हैं , अविद्या हैं, बुरे कर्म करता हैं। अकुशल कर्म करता हैं, बेहोशी में जीवन नष्ट करता हैं । ऐसा व्यक्ति आज तो दुखी हैं ही, लेकिन आगे के लिये भी दुःख के बीज बोता हैं। (2) अंधकार से प्रकाश की […]

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मन का स्वभाव कैसे बदलें?

सारे कर्मों को सुधारने के लिए मन के कर्मों को सुधारना होता है और मन के कर्म को सुधारने के लिए मन पर पहरा लगाना होता है। कैसे कोई पहरा लगाएगा जब यह ही नहीं जानता कि मन क्या है और कैसे काम करता है ? उसका शरीर से क्या संबंध है ? वह शरीर

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श्रेष्ठ मंगल क्या है?

एक समय भगवान श्रावस्ती नगर के जेतवन उद्यान में श्रेष्टी अनाथपिडिक द्वारा बनवाये संघाराम में विहार कर रहे थे। उस समय भगवान से पूछा गया: – “बहू देवा मनुस्सा च, मङ्गलानि अचिन्तयुं । आकङ्खमाना सोत्थानं, ब्रूहि मङ्गलमुत्तमं ॥” – कल्याण की कामना करते हुए कितने ही देव और मनुष्य मंगल-धर्मों के संबंध में चिंता-मग्न रहे

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धन्य हुई वैशाख पूर्णिमा!

वर्ष – महाशाक्य-राजसंवत, 68 ऋतु – ग्रीष्म मास – वैशाख दिवस – शुक्रवार तिथि – पूर्णिमा नक्षत्र – विशाखा समय – ऊषाकाल ब्रह्म मुहूर्त ग्रीष्म के ताप से उत्तप्त हुई धरती को सारी रात शुद्ध शीतल शर्वरी (ज्योत्स्ना) से नहला कर पूर्णिमा का चांद विश्राम के लिए पश्चिमी क्षितिज की ओर बढ़ रहा है। पूर्वी

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🌺बुद्ध जयन्ती – वैशाख पूर्णिमा🌺

(यह लेख 28 वर्ष पूर्व पूज्य गुरुजी द्वारा म्यंमा(बर्मा) से भारत आने के पूर्व वर्ष 1968 की वैशाख पूर्णिमा पर लिखा गया था जो वहां की ब्रह्म भारती” नामक मासिक पत्रिका में छपा और ‘आल बर्मा हिंदू सेंट्रल बोर्ड रंगून द्वारा पुनः पत्रक के रूप में छपवाकर वितरित किया गया था। आज की वैशाख पूर्णिमा

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द बॅटल ऑफ भीम कोरेगाव फिल्म प्रमोशन के लिए २००० पदो की मेगा भर्ती

JOB VACANCY Post – Marketing and media manager Total Posts – 2000 Educational Qualification – Min 10th Pass

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लोक गुरु बुद्ध

“गौतम बुद्ध को गृहस्थ जीवन की कठिनाइयों और पेचीदगियों की जानकारी कहां थी? राजकुमार के जीवनकाल में विवाह के पश्चात पुत्र राहुल के जन्म लेते ही उन्होंने गृह त्याग दिया। तदनंतर गृहत्यागी श्रमण का जीवन जीते रहे। उन्होंने स्वयं गृहस्थ का सफल जीवन नहीं जिया । वे औरों को गृहस्थ धर्म के से सिखा पाते

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बुद्ध ने ज्ञान के सार को कुल 55 बिंदुओं में समेट दिया।

चार – आर्य सत्य पाँच – पंचशील आठ – अष्टांगिक मार्ग और अड़तीस – महामंगलसुत .. बुद्ध के चार आर्य सत्य.. 1. दुनियाँ में दु:ख है। 2. दु:ख का कारण है। 3. दु:ख का निवारण है। और 4. दु:ख के निवारण का उपाय है। .. पंचशील .. 1. झूठ न बोलना 2. अहिंसा 3. चोरी

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धर्म क्या है?

धर्म जीवन जीने की कला है। स्वयं सुख से जीने की तथा औरों को सुख से जीने देने की। सभी सुखपूर्वक जीना चाहते हैं, दुखों से मुक्त रहना चाहते हैं। परंतु जब हम यह नहीं जानते कि वास्तविक सुख क्या है और यह भी नहीं जानते कि उसे कैसे प्राप्त कि या जाए तो झूठे

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छटा संगाएंन रंगून बर्मा

जय भीम नमो बुद्धाय आप सभी धर्म की राह पर चलने वालों को नमन है, आप सभी गुरुजी को जानते है, गुरुजी ने धर्म सिखाया और इससे ये लाभ हुआ, हम राग और द्वेष के बंधनों से मुक्त हो रहे है, क्या आप जानते है, जब छटा संगाएंन रंगून बर्मा में, १९५४-५५, २५०० साल बाद

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