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📞 दलितों पर अन्याय और अत्याचार से संबंधित हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी

भारत के संविधान में हर नागरिक को समानता, स्वतंत्रता और सम्मान का अधिकार प्राप्त है। लेकिन इसके बावजूद आज भी कई जगहों पर दलित समाज पर अन्याय, भेदभाव और अत्याचार की घटनाएँ सामने आती हैं। इन घटनाओं के खिलाफ कानूनी संरक्षण और त्वरित सहायता प्राप्त करने के लिए सरकार ने विभिन्न हेल्पलाइन नंबर और पोर्टल […]

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📝 अनुसूचित जाति / जनजाति (SC/ST) के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजनाएँ |

भारत के संविधान ने समानता, सामाजिक न्याय और अवसर की उपलब्धता को हर नागरिक का मूल अधिकार माना है। परंतु ऐतिहासिक रूप से अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्गों को शिक्षा, रोजगार और सामाजिक अवसरों से वंचित रखा गया। इसी सामाजिक असमानता को दूर करने के उद्देश्य से भारत सरकार और राज्य सरकारें

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🌟 दलित समाज की प्रेरणादायी सफल व्यक्तियों की कहानियाँ

🪔 प्रस्तावना:भारत का इतिहास जातिगत असमानताओं से भरा रहा है, जिसमें दलित समाज को सदियों तक शोषण, बहिष्कार और अपमान का सामना करना पड़ा। लेकिन इन तमाम सामाजिक बाधाओं को पार करते हुए दलित समाज के कई लोगों ने अपने संघर्ष, प्रतिभा और आत्मविश्वास के बल पर सफलता की ऊँचाइयों को छुआ। इनकी कहानियाँ आज

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📚 दलित साहित्य के जनक – अण्णाभाऊ साठे

दलित साहित्य भारतीय सामाजिक क्रांति का एक सशक्त माध्यम रहा है। इस आंदोलन की नींव रखने वाले और अपने सशक्त लेखन के ज़रिए समाज के पीड़ित-वंचित वर्ग की आवाज़ बनने वाले साहित्यकार हैं – लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे।उनका साहित्य केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि संघर्ष, विद्रोह और बदलाव का घोष रहा है। इस लेख में

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🕊️ सविता माई आंबेडकर – एक उपेक्षित व्यक्तित्व

जब भी हम डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के जीवन और संघर्ष की चर्चा करते हैं, तो उनके विचार, आंदोलन और क्रांति के साथ-साथ उनके निजी जीवन के पहलुओं पर कम ही ध्यान दिया जाता है। डॉ. आंबेडकर की दूसरी पत्नी – डॉ. सविता माई आंबेडकर – एक ऐसा नाम है, जिसने अंतिम क्षणों तक बाबासाहेब की

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🪔 भारत में जाति प्रथा समाप्त करने का एकमात्र उपाय – विपश्यना धम्म

भारत जैसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक देश में जाति प्रथा एक ऐसा घाव है, जो समाज को हजारों वर्षों से भीतर ही भीतर खा रहा है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने भी इसे मानवता के लिए अभिशाप कहा था। उन्होंने जीवनभर जातिव्यवस्थे के खात्मे के लिए संघर्ष किया और अंततः धम्म मार्ग को अपनाया।आज जब हम सामाजिक

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“यदि हमें एकता बनाए रखनी है, तो हमें अपनी जातिगत भिन्नताओं को भूलना होगा” — डॉ. भीमराव आंबेडकर

भारत जैसे विविधता से भरपूर देश में एकता बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। यहाँ भाषा, धर्म, संस्कृति और जाति के हजारों रूप हैं। ऐसे में जब हमारे बीच की जातिगत भिन्नताएं हमें बांटने का कारण बन जाती हैं, तो देश की समृद्धि और विकास पर असर पड़ता है। इस संदर्भ में डॉ. भीमराव आंबेडकर

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आज के भारत में जाति व्यवस्था – क्या बदला है?

आज के भारत में जाति व्यवस्था — क्या बदला है? 1. कानूनी तौर पर समानता भारत के संविधान ने जाति आधारित भेदभाव को पूरी तरह से गैरकानूनी घोषित किया है। दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण जैसी सरकारी नीतियां लागू हैं, ताकि वे शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक क्षेत्र में पिछड़े वर्गों के बराबर

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महिलाओं के अधिकारों के लिए आंबेडकर का संघर्ष

डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर ने महिलाओं के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण संघर्ष किया। वे न केवल दलित समाज के उद्धारकर्ता थे, बल्कि महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों के भी गहरे समर्थक थे। उनके प्रयासों ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने में अहम भूमिका निभाई। आंबेडकर और महिलाओं के अधिकार — मुख्य

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भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं

1. लिखित संविधान (Written Constitution) भारत का संविधान एक विस्तृत, लिखित दस्तावेज है, जिसमें सरकार के कार्य, अधिकार और कर्तव्य स्पष्ट रूप से दर्ज हैं। इसे संविधान सभा ने तैयार किया था। 2. संयुक्त और संघीय (Quasi-Federal) स्वरूप भारत संघीय देश है जहां केंद्र और राज्यों के अधिकारों का स्पष्ट विभाजन है। परंतु इसमें केंद्र

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