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📚 दलित साहित्य के जनक – अण्णाभाऊ साठे

दलित साहित्य भारतीय सामाजिक क्रांति का एक सशक्त माध्यम रहा है। इस आंदोलन की नींव रखने वाले और अपने सशक्त लेखन के ज़रिए समाज के पीड़ित-वंचित वर्ग की आवाज़ बनने वाले साहित्यकार हैं – लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे।उनका साहित्य केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि संघर्ष, विद्रोह और बदलाव का घोष रहा है। इस लेख में […]

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🕊️ सविता माई आंबेडकर – एक उपेक्षित व्यक्तित्व

जब भी हम डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के जीवन और संघर्ष की चर्चा करते हैं, तो उनके विचार, आंदोलन और क्रांति के साथ-साथ उनके निजी जीवन के पहलुओं पर कम ही ध्यान दिया जाता है। डॉ. आंबेडकर की दूसरी पत्नी – डॉ. सविता माई आंबेडकर – एक ऐसा नाम है, जिसने अंतिम क्षणों तक बाबासाहेब की

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🪔 भारत में जाति प्रथा समाप्त करने का एकमात्र उपाय – विपश्यना धम्म

भारत जैसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक देश में जाति प्रथा एक ऐसा घाव है, जो समाज को हजारों वर्षों से भीतर ही भीतर खा रहा है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने भी इसे मानवता के लिए अभिशाप कहा था। उन्होंने जीवनभर जातिव्यवस्थे के खात्मे के लिए संघर्ष किया और अंततः धम्म मार्ग को अपनाया।आज जब हम सामाजिक

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“यदि हमें एकता बनाए रखनी है, तो हमें अपनी जातिगत भिन्नताओं को भूलना होगा” — डॉ. भीमराव आंबेडकर

भारत जैसे विविधता से भरपूर देश में एकता बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। यहाँ भाषा, धर्म, संस्कृति और जाति के हजारों रूप हैं। ऐसे में जब हमारे बीच की जातिगत भिन्नताएं हमें बांटने का कारण बन जाती हैं, तो देश की समृद्धि और विकास पर असर पड़ता है। इस संदर्भ में डॉ. भीमराव आंबेडकर

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आज के भारत में जाति व्यवस्था – क्या बदला है?

आज के भारत में जाति व्यवस्था — क्या बदला है? 1. कानूनी तौर पर समानता भारत के संविधान ने जाति आधारित भेदभाव को पूरी तरह से गैरकानूनी घोषित किया है। दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण जैसी सरकारी नीतियां लागू हैं, ताकि वे शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक क्षेत्र में पिछड़े वर्गों के बराबर

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महिलाओं के अधिकारों के लिए आंबेडकर का संघर्ष

डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर ने महिलाओं के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण संघर्ष किया। वे न केवल दलित समाज के उद्धारकर्ता थे, बल्कि महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों के भी गहरे समर्थक थे। उनके प्रयासों ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने में अहम भूमिका निभाई। आंबेडकर और महिलाओं के अधिकार — मुख्य

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भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं

1. लिखित संविधान (Written Constitution) भारत का संविधान एक विस्तृत, लिखित दस्तावेज है, जिसमें सरकार के कार्य, अधिकार और कर्तव्य स्पष्ट रूप से दर्ज हैं। इसे संविधान सभा ने तैयार किया था। 2. संयुक्त और संघीय (Quasi-Federal) स्वरूप भारत संघीय देश है जहां केंद्र और राज्यों के अधिकारों का स्पष्ट विभाजन है। परंतु इसमें केंद्र

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भारतीय संविधान की विश्वव्यापी महत्ता

1. सबसे बड़ा लिखित संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान होने के कारण इसे ‘संविधानों का महासागर’ भी कहा जाता है। 2. विविधता में एकता का आदर्श यह संविधान विभिन्न भाषाओं, धर्मों, जातियों, और संस्कृतियों के बीच एकता और समरसता स्थापित करता है। 3. लोकतंत्र का प्रतीक यह सबसे बड़े लोकतंत्र का संचालन सुनिश्चित

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📱 अंबेडकरवादी आंदोलन और सोशल मीडिया: डिजिटल क्रांति में नया स्वरूप 🔷 भूमिका

  21वीं सदी में सोशल मीडिया ने जनांदोलनों का चेहरा बदल दिया है। जहां पहले अंबेडकरवादी विचार केवल पुस्तकों, सभाओं और आंदोलन तक सीमित थे, वहीं अब वे डिजिटल मंचों के माध्यम से देश-दुनिया में तेजी से फैल रहे हैं। यह बदलाव केवल तकनीकी नहीं, बल्कि विचार क्रांति का प्रतीक बन चुका है। 🔷 सोशल

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अंबेडकरवादी साहित्य: पढ़ने योग्य प्रमुख पुस्तकें और लेख

डॉ. भीमराव अंबेडकर न केवल भारत के संविधान निर्माता थे, बल्कि एक प्रखर चिंतक, समाज सुधारक और लेखक भी थे। अंबेडकरवादी आंदोलन को समझने और समाज में परिवर्तन लाने के लिए उनका साहित्य अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं उन प्रमुख पुस्तकों और लेखों के बारे में जो हर अंबेडकरवादी को अवश्य पढ़नी चाहिए। 📚

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