


जब उन्होंने यह कसम खाई की मै बुद्ध धर्म को फिर्से भारत में जीवित करूंगा, धर्म को प्रस्तपित करूंगा तब अरहत भिक्षु ओ ने साधु वाद दिया और कहा को आप धर्म का उगम करो, अब भारत का समय आ गया था, धर्म फिर् से जागने का, आकाश के देवता और ब्रह्मा और सभी देवताओं ने साधु वाद किया, भुमि रोमांचित हो उठी, हवा की ठंडी दिशा भारत कि और बहने लगी, धर्म की तरंगे, बाबासाहेब जी साथ,

भारत वापस आयी और पूरी ताकत के साथ, इस देश को कम्पायमान कर दिया यह देश अंधेरे

की रात से उजाले की सुरज

की और जाने लगा, और इस भारत भूमि पर भगवान तथागत गौतम बुद्ध के और उनके धम्म

को,

१४अक्टूबर १९५६ असोका विजयदशमी के दिन,

पांच लाख लोगों से अधिक लोगो को बुद्ध का

धर्म दिया,

शील,


समाधि,



प्रज्ञा का,

जो पंचशील है,

चार आर्य सत्य,



आर्य अष्टांगमार्ग, और

समता,

न्याय,

बंधुत्वता का आधार है, साधु साधु साधु


