जय भीम नमो बुद्धाय
आप सभी धर्म की राह पर चलने वालों को नमन है,
आप सभी गुरुजी को जानते है,
गुरुजी ने धर्म सिखाया और इससे ये लाभ हुआ, हम राग और द्वेष के बंधनों से मुक्त हो रहे है,
क्या आप जानते है,
जब छटा संगाएंन रंगून बर्मा में, १९५४-५५, २५०० साल बाद हो रहा था, तब भारत से किसने या कोन थे जो प्रस्तुत हुए, थे, बोधिसत्व डॉक्टर भीमराव रामजी अम्बेडकर, पंडितो के पंडित, राजनीति के महाग्यनी, कानून के दाता, समाज के रक्षक, देश के भारत रत्न, विश्व के ज्ञान के सागर, बुद्ध के महानुयाई, पंथो (रिलीजन)के जानकार, और भारत के शिल्पकार, संविधान के जनक, पीड़ितो के मसीहा, शूद्रों के उद्धरकर्ता, बोधिसत्व डॉक्टर भीमराव रामजी अम्बेडकर
तब हम सबके गुरुजी, वहा ३१ की उम्र में कैटरिंग की सेवा दे रहे थे, तब, बाबासाहेब जी ने, जब बाबासाहेब जी ने भारत के तरफ से अपनी बात कही, तो वहां पर मौजूद सभी भिक्षु, ज्ञानी, और विद्वान लोग आंखो से आसू बहा रहे, थे,
जब उन्होंने यह कसम खाई की मै बुद्ध धर्म को फिर्से भारत में जीवित करूंगा, धर्म को प्रस्तपित करूंगा तब अरहत भिक्षु ओ ने साधु वाद दिया और कहा को आप धर्म का उगम करो, अब भारत का समय आ गया था, धर्म फिर् से जागने का, आकाश के देवता और ब्रह्मा और सभी देवताओं ने साधु वाद किया, भुमि रोमांचित हो उठी, हवा की ठंडी दिशा भारत कि और बहने लगी, धर्म की तरंगे, बाबासाहेब जी साथ, भारत वापस आयी और पूरी ताकत के साथ, इस देश को कम्पायमान कर दिया यह देश अंधेरे की रात से उजाले की सुरज की और जाने लगा, और इस भारत भूमि पर भगवान तथागत गौतम बुद्ध के और उनके धम्म को, १४अक्टूबर १९५६ असोका विजयदशमी के दिन, पांच लाख लोगों से अधिक लोगो को बुद्ध का धर्म दिया, शील, समाधि, प्रज्ञा का, जो पंचशील है, चार आर्य सत्य, आर्य अष्टांगमार्ग, और समता, न्याय, बंधुत्वता का आधार है, साधु साधु साधु
धर्म जब सभी का सामान होता है, तब उसे धर्म कहते हैं, लेकिन जब सबका अलग और दूषित हो जाए तो उसे पंथ कह थे!!!
बौद्ध शब्द इंग्लिश में बुद्धिस्म, सुनने में लगता है पंथ है, लेकिन अभ्यास करने पर पता चला कि यह कानून की धाराओं में व्यहारिक शब्द है, जैसे, जो जिसका अनुसरण करे अो उसका अनुयाई, वैसा ही, जो बुद्ध के धम्म का अनुयाई है उसे बुद्धिस्ट कहा गया, या हिंदी में बौद्ध कहा गया, आज हमे धम्म का पालन करना है और उस मार्ग पर चल अगर हमे विप्पसी साधक कहे कर इसका भी एक पंथ बन जाएगा, पर ऐसा होने नहीं देंगे, धर्म को शुद्ध रूप में बौद्ध धर्म ने संभाला, ना की, हिंदू, जैन, मुस्लिम, इस्लाम, ने, यह सत्य है धर्म कोई पंथ नहीं, फिर बौद्ध धर्म ने ही क्यू संभाला, किसी अन्य ने क्यू नहीं, यह सवाल कुछ सोच में गिरा देता है?
मै यह मानता हूं, धर्म केवल सत्य है, और इस अध्यात्म और निर्वाण मार्ग पर इसे धम्म कहेंगे, और कानून की धारा में इसे बौद्ध या बुद्धिस्ट कहेंगे, आप मानो या ना मानो, परम पूज्य बाबासाहेब जी ने हमे धर्म देते समय यही कहा, मेरे बाद, यही धर्म तुम्हारा सहारा है, तुम्हारी आंख है, तुम्हारा जीवन सुख और समृद्ध करने का मार्ग दाता है
हम लोग सभी नेताओ की बात करते है, लेकिन बाबासाहेब जी को धर्म में स्थान नहीं देते, लेकिन समझे, आनेवाले मैत्रेय यानी बाबासाहेब जी है, यह उनका धर्म को पुर्नजीवित करने का और अगले २५०० साल धर्म चलने का भारत का लक्ष्य है,
धर्म बाबासाहेब जीने दिया, धर्म सार गुरुजी गोइंकाजी ने दिया,
हम सबका मंगल हो, हम सभी राग और द्वेष मुक्त हो, सभी सामान और समता में पुस्ट हो, कोई भी नीच नहीं, कोई भी उच्च नहीं, सभी समान और एक है,
साधु साधु साधु
कल्याण मित्र
आप सभी का कमलेश ठवरे, नागपुर, महाराष्ट्र, भारत।।।