मद्यपान और नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण के लिए और समाज रक्षा सेवा के लिए स्वैच्छिक संगठनों को सहायता
‘मद्यपान और नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण और समाज रक्षा सेवा के लिए सहायता संबंधी योजना’ नशीली दवा की मांग को कम करने के क्षेत्र में इस मंत्रालय की एक फ्लैगशिप योजना है। इस योजना के दो भाग हैं:
- ‘मद्यपान और नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण के लिए सहायता’ (भाग-I)। इस योजना के लागत संबंधी मानदण्डों को 01.01.2015 से संशोधित किया गया है।
- ‘समाज रक्षा के क्षेत्र में वित्तीय सहायता’ (भाग-II)।
मद्यपान और नशीली दवा दुरुपयोग निवारण हेतु स्वैच्छिक संगठनों को सहायता
मद्यपान और नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण हेतु सहायता योजना स्वैच्छिक और अन्य पात्र संगठनों के माध्यम से व्यसनियों की पहचान करने, उन्हें परामर्श देने, उनका उपचार करने और पुनर्वास करने के लिए कार्यान्वित की जाती है। इस योजना के अंतर्गत स्वैच्छिक संगठनों और अन्य पात्र एजेंसियों को एकीकृत व्यसनी पुनर्वास केन्द्र (आईआरसीए), क्षेत्रीय संसाधन और प्रशिक्षण केन्द्र (आरआरटीसी) स्थापित करने/चलाने के लिए, जागरूकता एवं नशामुक्ति शिविरों (एसीडीसी) और कार्य स्थल निवारण कार्यक्रमों आदि को आयोजित करने के लिए अनुमोदित व्यय का 90 प्रतिशत वित्तीय सहायता के रूप में दिया जाता है। पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम और जम्मू और कश्मीर के मामले में सहायता की प्रमात्रा कुल ग्राह्य व्यय का 95 प्रतिशत है। शेष राशि कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा वहन की जाती है।
समाज रक्षा के क्षेत्र में वित्तीय सहायता
‘समाज रक्षा के क्षेत्र में वित्तीय सहायता के लिए सामान्य सहायता अनुदान कार्यक्रम’ योजना का उद्देश्यः
- मंत्रालय के अधिदेश के भीतर आने वाली अत्यंत जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करना जिन्हें इसकी नियमित योजनाओं के अंतर्गत पूरा नहीं किया जा सकता है
मंत्रालय के लक्ष्य समूहों के कल्याण और सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक अभिनव/प्रायोगिक स्वरूप की ऐसी पहलों को सहायता प्रदान करना जिन्हें इसकी नियमित योजनाओं के अंतर्गत सहायता प्रदान नहीं की जा सकती है। स्वैच्छिक और अन्य पात्र संगठनों को अनुमोदित व्यय की 90 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। उस संगठन के मामले में जो अपेक्षाकृत नए क्षेत्र में कार्य कर रहा है जहां स्वैच्छिक और सरकारी दोनों के प्रयास बहुत ही सीमित हैं, लेकिन उस सेवा की बहुत अधिक आवश्यकता है, उस मामले में सरकार लागत का 100 प्रतिशत वहन करेगी।
स्कीम के दिशानिर्देश