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🧑🏫 परिचय:
शिवदयाल सिंह चौरसिया भारत के एक महान समाजसेवी, विचारक, अधिवक्ता और पिछड़े वर्गों के सामाजिक अधिकारों के पुरोधा थे। उन्हें “लोक अदालतों का जनक” और “पिछड़ा वर्ग जागरूकता आंदोलन के अग्रणी नेता” के रूप में जाना जाता है।
📜 मूल जानकारी:
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पूरा नाम: बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया
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जन्म: 13 मार्च 1903, खरिका गाँव (अब तेलीबाग), लखनऊ, उत्तर प्रदेश
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पिता का नाम: पराराम चौरसिया
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मृत्यु: 18 सितंबर 1995
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शिक्षा: B.A., LL.B. (कैनिंग कॉलेज, लखनऊ)
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पेशा: वकील, समाजसेवी, सांसद
🎓 शिक्षा और प्रारंभिक जीवन:
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उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के विलियम मिशन हाई स्कूल से पूरी की।
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कैनिंग कॉलेज से स्नातक और फिर कानून की डिग्री प्राप्त की।
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1929 से उन्होंने वकालत शुरू की और समाज के वंचित वर्गों को न्याय दिलाने के लिए कार्य किया।
⚖️ कानूनी कार्य और सामाजिक सुधार:
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1953 में उन्होंने “सेंट्रल लीगल एड सोसाइटी” की स्थापना की, जो गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता देती थी।
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उन्होंने लोक अदालतों (जन अदालत) की कल्पना की और इसके लिए संवैधानिक प्रयास किए।
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उनकी पहल पर भारतीय संविधान में अनुच्छेद 39A जोड़ा गया, जो सभी को समान न्याय की गारंटी देता है।
🗳️ राजनीतिक जीवन:
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वे 1967 में रायबरेली से इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े थे।
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बाद में 1974 से 1980 तक वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद बने।
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वे कांग्रेस (I) पार्टी से जुड़े रहे।
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उन्होंने संसद में पिछड़े वर्गों, दलितों, महिलाओं और किसानों के अधिकारों की लगातार आवाज उठाई।
🌍 सामाजिक आंदोलन:
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उन्होंने “हिंदू बैकवर्ड क्लास लीग” की स्थापना की, जिससे ओबीसी वर्ग को संगठित किया गया।
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वे डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, ज्योतिबा फुले, और पेरियार के विचारों से प्रेरित थे।
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उन्होंने सामाजिक असमानता, जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ दृढ़ता से संघर्ष किया।
💡 महत्वपूर्ण विचार:
“मेरा नाम चौरसिया है, और मैं हिंदू समाज की असमानता को ‘चौरस’ करके ही दम लूंगा।”
🕊️ निधन और सम्मान:
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18 सितंबर 1995 को उनका निधन हुआ।
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उनकी स्मृति में हर साल पुण्यतिथि मनाई जाती है।
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कई संस्थाएं, पुस्तकालय और छात्रवृत्तियां उनके नाम पर चलाई जाती हैं।
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वे आज भी ओबीसी और पिछड़े वर्गों के उत्थान के प्रेरणा स्रोत हैं।
🏆 विरासत:
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लोक अदालतों के प्रवर्तक
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OBC जागरूकता आंदोलन के आधार स्तंभ
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सामाजिक न्याय के संघर्षशील योद्धा
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कानून और संसद के माध्यम से बदलाव लाने वाले विचारक
🔚 निष्कर्ष:
बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया ने जीवन भर वंचितों और शोषितों के हक के लिए संघर्ष किया। उन्होंने न केवल न्याय दिलाया, बल्कि व्यवस्था में बदलाव लाने का कार्य भी किया। वे आज भी सामाजिक न्याय और समानता के लिए प्रेरणा हैं।