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🟢 पूरा नाम: वल्लभभाई झावेरभाई पटेल
🟢 प्रसिद्ध नाम: “लौह पुरुष” (Iron Man of India)
🟢 जन्म: 31 अक्टूबर 1875 – नाडियाड, गुजरात
🟢 मृत्यु: 15 दिसंबर 1950 – मुंबई, महाराष्ट्र
🟢 पेशा: वकील, स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता
🟢 मुख्य पद: भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री
🟢 पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
🌟 परिचय:
सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे और स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री व उपप्रधानमंत्री बने। उन्होंने 562 रियासतों को भारतीय संघ में मिलाकर भारत को एकजुट राष्ट्र बनाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई, इसलिए उन्हें “भारत के शिल्पकार” और “लौह पुरुष” कहा जाता है।
👶 प्रारंभिक जीवन:
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वल्लभभाई पटेल का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था।
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उनके पिता झावेरभाई पटेल 1857 की क्रांति में भाग ले चुके थे।
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वे बचपन से ही मेहनती, आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी थे।
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उन्होंने खुद पढ़ाई कर वकील की परीक्षा पास की और इंग्लैंड जाकर कानून की पढ़ाई पूरी की।
⚖️ वकालत से राजनीति की ओर:
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इंग्लैंड से लौटने के बाद वे सफल वकील बने।
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महात्मा गांधी से प्रभावित होकर उन्होंने आज़ादी की लड़ाई में भाग लिया।
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उन्होंने खेड़ा सत्याग्रह (1918), बारडोली आंदोलन (1928), और नमक सत्याग्रह जैसे आंदोलनों में नेतृत्व किया।
बारडोली आंदोलन की सफलता के बाद ही उन्हें “सरदार” की उपाधि मिली।
🏛️ स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:
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वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक मजबूत स्तंभ बने।
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उन्होंने सत्याग्रह, अहिंसा, और जन आंदोलन को अपनाया।
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अंग्रेजों द्वारा कई बार उन्हें जेल में डाला गया।
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वे गांधी जी के सबसे विश्वसनीय सहयोगियों में गिने जाते थे।
🗺️ भारत के एकीकरण में भूमिका:
🔹 सबसे बड़ा योगदान:
स्वतंत्रता के बाद भारत में 562 देशी रियासतें थीं — कुछ पाकिस्तान में शामिल होना चाहती थीं, कुछ स्वतंत्र रहना चाहती थीं।
सरदार पटेल ने दृढ़ता, चतुराई और रणनीति से इन रियासतों को भारत में मिला दिया।
🔹 प्रमुख रियासतें:
उनकी नीतियों के कारण भारत एक एकीकृत गणराज्य बन सका।
🏅 पद व सम्मान:
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भारत के पहले गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री बने।
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उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न (1991) से सम्मानित किया गया।
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उनकी स्मृति में 31 अक्टूबर को “राष्ट्रीय एकता दिवस” मनाया जाता है।
🗿 स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity):
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विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा (182 मीटर) – सरदार पटेल की याद में बनाई गई।
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इसे 2018 में गुजरात के केवड़िया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया।
🕯️ मृत्यु:
15 दिसंबर 1950 को मुंबई में उनका निधन हुआ। उनका जीवन राष्ट्रभक्ति, एकता, और दृढ़ निश्चय का प्रतीक बना।
🪔 निष्कर्ष:
सरदार पटेल न केवल एक कुशल नेता थे बल्कि एक दृढ़ प्रशासक, एकीकृत भारत के शिल्पकार, और सच्चे राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने जो भारत की एकता के लिए किया, वह इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।