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🏛️ पूरा नाम: अशोक मौर्य
🗓️ जन्म: लगभग 304 ईसा पूर्व
📍 जन्मस्थान: पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना, बिहार)
👑 पद: मौर्य साम्राज्य के तृतीय सम्राट
🔱 राज्याभिषेक: 268 ईसा पूर्व
⚰️ मृत्यु: 232 ईसा पूर्व
👨👩👧👦 पिता: सम्राट बिंदुसार
वंश: मौर्य वंश
📖 संक्षिप्त जीवन परिचय:
सम्राट अशोक भारतीय इतिहास के सबसे महान और लोकप्रिय सम्राटों में से एक थे। वे मौर्य वंश के तीसरे शासक थे। उन्होंने लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया।
शुरुआत में वे एक पराक्रमी लेकिन कठोर और युद्धप्रिय राजा थे। लेकिन कलिंग युद्ध (261 ई.पू.) के बाद, जब उन्होंने युद्ध की विभीषिका देखी, तो उनका हृदय परिवर्तित हो गया। उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और हिंसा छोड़कर अहिंसा, शांति और धर्म के मार्ग पर चल पड़े।
⚔️ कलिंग युद्ध और हृदय परिवर्तन:
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अशोक ने कलिंग (वर्तमान उड़ीसा) पर आक्रमण किया।
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युद्ध में 1 लाख से अधिक लोग मारे गए, और लाखों घायल हुए।
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युद्ध की पीड़ा देखकर वे आत्मग्लानि में डूब गए और उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया।
🕊️ धर्म प्रचारक सम्राट:
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अशोक ने अहिंसा, धर्म, सामाजिक कल्याण, और सत्य के सिद्धांतों को फैलाया।
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उन्होंने बौद्ध भिक्षुओं को श्रीलंका, अफगानिस्तान, म्यांमार, तिब्बत तक भेजा।
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उन्होंने 84,000 स्तूप और बौद्ध विहारों का निर्माण कराया।
🗿 अशोक के शिलालेख और स्तंभ:
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अशोक ने अपने आदेशों और विचारों को शिलालेखों और स्तंभों पर खुदवाया।
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ये शिलालेख ब्राह्मी लिपि में हैं और पूरे भारत में पाए जाते हैं।
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सबसे प्रसिद्ध स्तंभ है – सारनाथ का सिंह स्तंभ, जो भारत का राष्ट्रीय चिन्ह बना है।
📿 धर्म के सिद्धांत:
अशोक का “धर्म” बौद्ध धर्म से प्रेरित था, जिसमें मुख्य सिद्धांत थे:
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अहिंसा (Non-violence)
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सत्य (Truth)
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दया (Compassion)
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धर्म के प्रति श्रद्धा
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सभी धर्मों का सम्मान
🕍 अशोक द्वारा कराए गए निर्माण:
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सांची, सारनाथ, गया, कंधार आदि में बौद्ध स्तूप और विहारों का निर्माण
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सारनाथ का सिंह स्तंभ – भारत का राष्ट्रीय प्रतीक
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लगभग 84,000 स्तूपों का निर्माण करवाया
🌍 विदेशों में धर्म प्रचार:
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अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए धर्मदूतों को विभिन्न देशों में भेजा:
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श्रीलंका (महेंद्र और संघमित्रा – अशोक के पुत्र-पुत्री)
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म्यांमार, तिब्बत, अफगानिस्तान, मिस्र, सीरिया, यूनान
🛡️ प्रशासनिक सुधार:
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उन्होंने धर्म महामात्र नामक अधिकारी नियुक्त किए, जो लोगों में नैतिकता और धार्मिकता फैलाते थे।
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अशोक का शासन सामाजिक समानता, न्याय और जनहित आधारित था।
🏵️ मृत्यु और विरासत:
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232 ईसा पूर्व में अशोक का निधन हुआ।
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उनके बाद मौर्य साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होने लगा।
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परंतु अशोक की मानवता, शांति, धर्म और न्याय की नीति ने उन्हें “धर्माशोक” बना दिया।
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उन्हें भारत का पहला बौद्ध सम्राट भी माना जाता है।
राष्ट्रीय महत्व:
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सारनाथ का सिंह स्तंभ भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है।
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अशोक चक्र को भारत के राष्ट्रीय ध्वज में शामिल किया गया है।
✊ निष्कर्ष:
सम्राट अशोक केवल एक विजेता नहीं, बल्कि इतिहास के पहले ऐसे शासक थे जिन्होंने हिंसा त्यागकर प्रेम, धर्म और शांति का मार्ग अपनाया।
वे आज भी धर्म, न्याय और करुणा के प्रतीक माने जाते हैं।
“जिस सम्राट ने तलवार फेंकी और कमंडल उठाया – वही था अशोक महान।”