🧑🏫 प्रारंभिक जीवन
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जन्म: 1 सितंबर 1911
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जन्मस्थान: गाँव कथारा, जि़ला कानपुर देहात (उत्तर प्रदेश)
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पिता: चौधरी गज्जू सिंह यादव – एक किसान और आर्य समाजी
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माता: मूला देवी – एक प्रतिष्ठित परिवार से थीं
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लालई सिंह ने हिन्दी और उर्दू माध्यम से मिडिल स्तर तक पढ़ाई की थी।
🚔 नौकरी और आंदोलन
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1929 में वन रक्षक (Forest Guard) बने।
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1933 में ग्वालियर राज्य की पुलिस में सिपाही बने।
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1935 में कांग्रेस समर्थक गतिविधियों के कारण बर्खास्त कर दिए गए, बाद में बहाल हुए।
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1946 में नॉन गजेटेड पुलिस व आर्मी एम्प्लॉयीज़ यूनियन की स्थापना की और अध्यक्ष बने।
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1947 में ब्रिटिश राज द्वारा देशद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार हुए और 5 साल की सज़ा हुई।
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स्वतंत्रता के बाद 1948 में जेल से रिहा हुए।
✊ सामाजिक क्रांति और लेखन
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जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने “सिपाही की तबाही” नामक किताब लिखी जो पुलिस और सेना में भ्रष्टाचार की आलोचना थी।
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उन्होंने ‘सस्ता प्रेस’ और ‘अशोक पुस्तकालय’ नामक प्रकाशन की शुरुआत की जिससे सस्ते दामों पर बहुजन साहित्य छपता था।
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कुछ प्रमुख नाटक:
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अंगुलिमाल
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शंबूक वध
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संती माया बलिदान
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एकलव्य
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नाग यज्ञ
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अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकें:
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अत्याचारितों पर धार्मिक डकैती
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राजनैतिक डकैती
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सामाजिक असमानता का अंत कैसे हो?
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🧘 बौद्ध धर्म अपनाना और अंबेडकर-प्रेरणा
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डॉ. अंबेडकर से 1951 में पहली बार मिले और गहराई से प्रभावित हुए।
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14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में बौद्ध दीक्षा समारोह में जाना चाहते थे पर अस्वस्थ थे।
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21 जुलाई 1967 को कुशीनगर में महास्थविर चंद्रमणि से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।
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इसके बाद उन्होंने अपने नाम से “कुंवर”, “चौधरी”, “यादव” जैसे जातिगत शब्द हटा दिए।
📚 पेरियार की किताब का अनुवाद और कानूनी लड़ाई
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1968 में उन्होंने दक्षिण भारत के समाज सुधारक पेरियार ई.वी. रामासामी की किताब “The Ramayana: A True Reading” का हिन्दी अनुवाद किया – नाम रखा “सच्ची रामायण”।
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उत्तर प्रदेश सरकार ने दिसंबर 1969 में इस किताब पर प्रतिबंध लगाया।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जनवरी 1971 में यह प्रतिबंध हटा दिया और सरकार को किताब लौटाने और ₹300 खर्च देने का आदेश दिया।
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सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन 16 सितंबर 1976 को सुप्रीम कोर्ट ने भी लालई सिंह यादव के पक्ष में फैसला दिया।
👑 उपाधियाँ और प्रभाव
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उन्हें उत्तर भारत में “पेरियार” कहा जाने लगा – दक्षिण के विचारों को हिन्दी क्षेत्र में फैलाने वाले पहले प्रमुख नेता बने।
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डॉ. अंबेडकर, पेरियार, बुद्ध के विचारों को उत्तर भारत में आम जनता तक पहुँचाया।
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उनके साहित्य और आंदोलन ने रामस्वरूप वर्मा और कांशीराम जैसे नेताओं को प्रेरित किया।
🕯 मृत्यु
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मृत्यु: 7 फरवरी 1993 (उम्र 81 वर्ष)
📌 संक्षिप्त सारणी:
विषय |
जानकारी |
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जन्म |
1 सितंबर 1911, कानपुर देहात |
मृत्यु |
7 फरवरी 1993 |
कार्य |
पुलिसकर्मी, नाटककार, प्रकाशक, अनुवादक, समाज सुधारक |
प्रसिद्ध पुस्तक |
सच्ची रामायण (पेरियार की पुस्तक का हिन्दी अनुवाद) |
धर्म परिवर्तन |
1967 में बौद्ध धर्म ग्रहण |
प्रेरणाएँ |
डॉ. अंबेडकर, पेरियार |
उपाधि |
उत्तर भारत के पेरियार |
संघर्ष |
किताबों पर प्रतिबंध, सामाजिक भेदभाव, जेल की सज़ा |