🧑🏫 पूरा नाम: ईरोड वेंकटनारायण रामास्वामी (Periyar Erode Venkata Naicker)
लोकप्रिय नाम: पेरियार (Periyar)
जन्म: 17 सितंबर 1879
जन्म स्थान: ईरोड, तमिलनाडु
मृत्यु: 24 दिसंबर 1973
पेशा: समाज सुधारक, विचारक, आंदोलनकारी
प्रसिद्धि: द्रविड़ आंदोलन के जनक, ब्राह्मणवाद व जातिवाद के कट्टर विरोधी
🌱 प्रारंभिक जीवन:
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पेरियार का जन्म एक समृद्ध व्यापारी परिवार में हुआ था।
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बचपन से ही उन्होंने धार्मिक आडंबर, जातिवाद और असमानता को लेकर सवाल उठाए।
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उन्होंने औपचारिक शिक्षा कम समय के लिए ली, लेकिन उनका सामाजिक अनुभव बहुत गहरा था।
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उन्हें शुरू में “सेठ” जैसा जीवन मिला, लेकिन उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
✈️ तीर्थ यात्रा और जागृति:
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एक बार काशी (वाराणसी) की तीर्थ यात्रा के दौरान उन्होंने देखा कि नीच जाति के लोगों के साथ भेदभाव होता है – उन्हें मंदिरों में प्रवेश नहीं मिलता, उन्हें अपमानित किया जाता है।
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इस अनुभव ने उन्हें झकझोर दिया और वे ब्राह्मणवाद, छुआछूत, और अंधविश्वास के कड़े विरोधी बन गए।
💥 ब्राह्मणवाद और जाति व्यवस्था का विरोध:
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पेरियार ने ब्राह्मणवादी व्यवस्था, मनुस्मृति, धर्म के नाम पर हो रहे भेदभाव, और महिलाओं पर अत्याचार का पूरी ताकत से विरोध किया।
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उन्होंने कहा:
“धर्म नहीं, इंसानियत सबसे बड़ा सिद्धांत है।”
🛡️ सामाजिक आंदोलन और संगठन:
1. जस्टिस पार्टी (Justice Party):
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1929 में पेरियार इससे जुड़े और आगे चलकर इसके नेता बने।
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यह पार्टी ब्राह्मणों के वर्चस्व के खिलाफ गैर-ब्राह्मणों के अधिकारों के लिए बनी थी।
2. ‘Self-Respect Movement’ / आत्मसम्मान आंदोलन (1925):
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इसका उद्देश्य था कि हर इंसान खुद को समान माने, चाहे उसकी जाति या धर्म कुछ भी हो।
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पेरियार ने विवाह, धर्म, वेद, पूजा आदि को तर्क और समानता के तराजू पर तौला।
3. द्रविड़ आंदोलन:
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उन्होंने द्रविड़ समुदाय को आर्य ब्राह्मणों के खिलाफ राजनीतिक और सामाजिक तौर पर संगठित किया।
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“द्रविड़ कषगम” (Dravidar Kazhagam) नाम से उन्होंने आंदोलन को सशक्त किया।
👩🦱 महिला अधिकारों के पक्षधर:
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पेरियार ने महिलाओं की शिक्षा, स्वतंत्रता, और विवाह की स्वतंत्रता का समर्थन किया।
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उन्होंने विधवा विवाह, महिला पुनर्विवाह और बाल विवाह के खिलाफ आवाज़ उठाई।
📚 लेखन और प्रचार:
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पेरियार एक प्रभावशाली लेखक और वक्ता भी थे।
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उन्होंने “कुदियारासु”, “विदुथलाई”, “Unmai” जैसे अखबारों और पत्रिकाओं के माध्यम से अपने विचार लोगों तक पहुंचाए।
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उन्होंने मनुस्मृति और धार्मिक ग्रंथों की खुले मंच से आलोचना की।
🕯️ मृत्यु और विरासत:
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पेरियार का निधन 24 दिसंबर 1973 को हुआ।
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उन्हें “दक्षिण भारत के युगपुरुष”, “तर्क के पुजारी”, और “आधुनिक तामिल पुनर्जागरण का जनक” कहा जाता है।
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आज भी तमिलनाडु में उन्हें महान सामाजिक क्रांतिकारी और नायक के रूप में याद किया जाता है।
🧠 प्रसिद्ध विचार / उद्धरण (Quotes):
“कोई ईश्वर नहीं है, कोई धर्म नहीं है – केवल इंसानियत है।”
“समानता ही सच्चा धर्म है।”
“जाति हटाओ, भेदभाव मिटाओ।”
📌 संक्षिप्त तथ्य तालिका:
विषय |
विवरण |
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जन्म |
17 सितंबर 1879, ईरोड, तमिलनाडु |
मृत्यु |
24 दिसंबर 1973 |
आंदोलन |
आत्मसम्मान आंदोलन, द्रविड़ आंदोलन |
संगठन |
द्रविड़ कषगम (Dravidar Kazhagam) |
उद्देश्य |
जाति-भेद समाप्त करना, महिलाओं को अधिकार देना, तर्क और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना |