महाराज सिंह भारती की जीवनी

👶 प्रारंभिक जीवन एवं पृष्ठभूमि
  • जन्म: 1 नवंबर 1918, गाँव अरनावली, मेरठ ज़िला, उत्तर प्रदेश में एक जाट कृषक परिवार में
  • परिवार: पिता – निध राम भारती; माता – चरण कौर

📚 शिक्षा एवं शुरुआती प्रेरणाएँ
  • शिक्षा वर्ष भर डेव नागरी कॉलेज, मेरठ में प्राप्त की। राजनीतिक रूप से सक्रिय एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे।
  • 1950 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस छोड़कर, 1952 में डॉ. लोहिया द्वारा स्थापित समाजवादी पार्टी में शामिल हुए
  • 1957: उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य बने।
  • 1967–1971: संयुक्त समाजवादी पार्टी (SSP) से मेरठ लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए।
    • चुनाव प्रचार बैलगाड़ी और पुरानी जीप से किया गया।
    • संसद में किसानों के कल्याण, दलित- पिछड़ा समाज और समाजवाद के लिए मुखर रहे
    • गतिविधियाँ:
    • अखिल भारतीय हिन्द किसान पंचायत के अध्यक्ष रहे।
    • कृषि, सिंचाई, योजना और किसानों की आधुनिक समस्याओं हेतु जागरूकता फैलाने वाले चिंतक रहे

🧠 वैचारिक दर्शन और अर्जक संघ
  • अर्जक संघ एवं शोषित समाज दल के प्रमुख विचारवादी नेता थे — जिन्होंने ब्राह्मणवाद, वर्ण व्यवस्था, अंधविश्वास और पुनर्जन्म की धारणाओं का विरोध किया।
  • उनकी वैचारिक जोड़ी डॉ. रामस्वरूप वर्मा से तुलना की गई—जैसे मार्क्स–एंगेल्स की साझेदारी थी

📖 साहित्यिक योगदान
चौधरी महाराज सिंह भारती ने विज्ञान, समाजवाद, धर्म और मानवतावाद पर कई पुस्तकें लिखीं, जिनसे तत्कालीन ज़मीनी सत्य सामने आये:
  • प्रमुख पुस्तकें:
    • सृष्टि और प्रलय — सरल हिंदी में डार्विन का “Origin of Species” का लोक-रूपांतरण
    • ईश्वर की खोज, भारत का नियोजित दिवाला, ब्राह्मणवाद की शव परीक्षा, नारी का उत्थान और पतन, धर्म का धंधा, जाति तोड़ो समाज जोड़ो, गन्ना चीनी समस्या और समाधान, समाजवाद, दर्शन व आचरण, आदि।
    • ज्ञान-सञ्चार एवं जन जागरण हेतु ये पुस्तकें अर्जक प्रकाशन से प्रकाशित हुईं

✍️ जीवन दृष्टिकोण: वसीयत का संदेश
  • वसीयत में स्पष्ट लिखा: “मेरे मरने के बाद अगर मुझे स्वर्गीय विशेषण से संबोधित किया जाए 或 दो मिनट मौन रखा जाए, तो यह मेरे सिद्धांतों की हत्या होगी।”
  • पुनर्जन्म या आत्मा में उनका कोई विश्वास नहीं था—वे धर्म-आधारित पाखंड को व्यक्तिगत व सामाजिक उन्नति में बाधक मानते थे

🕯️ निधन एवं सामाजिक स्मृति
  • निधन: 14 सितम्बर 1995 को हुआ
  • जयंती की स्मृतियाँ:
    • अर्जक संघ जहां उनके आंदोलन की जागरूकता फैलाता है, वहीं उनके जन्म (1 नवम्बर) व पुण्यतिथि (14 सितम्बर) को “विज्ञान दिवस” के रूप में मनाया जाता है

🔍 सारांश
चौधरी महाराज सिंह भारती एक वैचारिक नेता, सामाजिक चिंतक, किसान आत्मनिर्भरता के प्रवर्तक और समाज सुधारक थे। वे सत्ता से ज़्यादा सिद्धांतों को तवज्जो देते थे। वैज्ञानिक दृष्टिकोण, वैचारिक स्पष्टता और अंधविश्वास के खिलाफ लगातार लड़ने वाले वे आधुनिक भारत के ऐसे नेता थे जिन्होंने भारत के बहुजन समाज को आत्म-निर्भर, जागरूक और स्वतंत्र बनाने में योगदान दिया।