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पूरा नाम: गुरु नानक देव
जन्म: 15 अप्रैल 1469, तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान)
मृत्यु: 22 सितंबर 1539, करतारपुर (अब पाकिस्तान)
पिता का नाम: कालू चंद मेहता (मेहता कालू)
माता का नाम: तृप्ता देवी
पत्नी का नाम: सुलक्षणी देवी
संतान: दो पुत्र – श्रीचंद और लक्ष्मीचंद
धर्म: सिख धर्म के संस्थापक
🔹 प्रारंभिक जीवन:
गुरु नानक देव जी का जन्म एक खत्री परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे धार्मिक विचारों में रुचि रखते थे और सांसारिक जीवन से अलग रहते थे। वे अक्सर ध्यान में लीन रहते और ईश्वर की भक्ति में डूबे रहते।
🔹 आध्यात्मिक ज्ञान और विचार:
गुरु नानक जी ने ईश्वर की एकता, जात-पात का विरोध, और मानवता की सेवा पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा:
“इक ओंकार सत नाम” – अर्थात् ईश्वर एक है और उसका नाम सत्य है।
उन्होंने मूर्ति-पूजा, अंधविश्वास और भेदभाव का विरोध किया।
🔹 चार उदासियाँ (यात्राएँ):
गुरु नानक देव जी ने लगभग 28 वर्षों तक चार प्रमुख दिशाओं में यात्रा की – उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम। इन यात्राओं को “उदासियाँ” कहा जाता है। उन्होंने हिन्दू, मुस्लिम, जैन, बौद्ध और अन्य समुदायों के लोगों से संवाद किया और सत्य व प्रेम का संदेश दिया।
🔹 करतारपुर की स्थापना:
जीवन के अंतिम वर्षों में उन्होंने करतारपुर (अब पाकिस्तान में) नामक स्थान की स्थापना की, जहाँ वे लोगों को उपदेश देते थे, कीर्तन करवाते और समाज सेवा करते थे।
🔹 प्रमुख शिक्षाएँ:
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नाम जपो – ईश्वर का नाम सुमिरन करो
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किरत करो – मेहनत की कमाई खाओ
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वंड छको – बाँटकर खाओ, ज़रूरतमंदों की मदद करो
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सभी धर्मों का सम्मान करो
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मनुष्य में कोई ऊँच-नीच नहीं – सब एक समान हैं
🔹 देह त्याग:
गुरु नानक देव जी ने 22 सितंबर 1539 को करतारपुर में शरीर का त्याग किया। उनके अनुयायियों में हिन्दू और मुस्लिम दोनों थे। एक ने उनका अंतिम संस्कार जलाने की बात कही, दूसरे ने दफनाने की। परन्तु जब उन्होंने चादर हटाई, तो वहाँ केवल फूल थे – जिसे दोनों समुदायों ने अपने-अपने रीति से संस्कार किया।
🔹 विरासत:
गुरु नानक जी सिख धर्म के पहले गुरु थे। उनके बाद 9 और गुरुओं ने सिख धर्म को आगे बढ़ाया। आज भी उनका जीवन और शिक्षाएँ करोड़ों लोगों को प्रेरणा देती हैं।
निवेदन:
गुरु नानक देव जी का जीवन एकता, प्रेम, सेवा और सत्य का प्रतीक है। उनका संदेश आज के समय में और भी प्रासंगिक है।