बुद्धम सरणम गच्छामी
धम्मम सरणम गच्छामी
संघम सरणम गच्छामी.
धम्मम सरणम गच्छामी
संघम सरणम गच्छामी.
घबराए जब मन अनमोल
हृदय हो उठे डाँवाडोल
हृदय हो उठे डाँवाडोल
घबराए जब मन अनमोल
और हृदय हो डाँवाडोल
तब मानव तू मुख से बोल
बुद्धम सरणम गच्छामी.
और हृदय हो डाँवाडोल
तब मानव तू मुख से बोल
बुद्धम सरणम गच्छामी.
जब अशांति का राग उठे, लाल लहू का फाग उठे
हिंसा की वो आग उठे, मानव में पशु जाग उठे
ऊपर से मुस्काते नर, भीतर ज़हर रहें हों घोल.
तब मानव तू मुख से बोल, बुद्धम सरणम गच्छामी.
हिंसा की वो आग उठे, मानव में पशु जाग उठे
ऊपर से मुस्काते नर, भीतर ज़हर रहें हों घोल.
तब मानव तू मुख से बोल, बुद्धम सरणम गच्छामी.
जब दुनिया से प्यार उठे, नफ़रत की दीवार उठे
माँ कि ममता पर जिस दिन, बेटे की तलवार उठे
धरती की काया काँपे, अंबर डगमग उठे डोल.
तब मानव तू मुख से बोल, बुद्धम सरणम गच्छामी.
माँ कि ममता पर जिस दिन, बेटे की तलवार उठे
धरती की काया काँपे, अंबर डगमग उठे डोल.
तब मानव तू मुख से बोल, बुद्धम सरणम गच्छामी.
दूर किया जिस ने जन-जन के व्याकुल मन का अंधियारा
जिसकी एक किरण को छूकर चमक उठा ये जग सारा
जिसकी एक किरण को छूकर चमक उठा ये जग सारा
दीप सत्य का सदा जले, दया अहिंसा सदा फले
सुख शांति की छाया में, जन-गन-मन का प्रेम पले
भारत के भगवान बुद्ध का, गूंजे घर-घर मंत्र अमोल.
हे मानव नित मुख से बोल, बुद्धम सरणम गच्छामी.
भारत के भगवान बुद्ध का, गूंजे घर-घर मंत्र अमोल.
हे मानव नित मुख से बोल, बुद्धम सरणम गच्छामी.