फूलन देवी की जीवनी

पूरा नाम: फूलन मल्हारिन देवी
उपनाम: बैंडिट क्वीन (Bandit Queen)
जन्म: 10 अगस्त 1963, घुरा का पुरवा, जिला जालौन (उत्तर प्रदेश)
मृत्यु: 25 जुलाई 2001, दिल्ली
धर्म: हिन्दू
जाति: मल्लाह (निषाद समाज)
पति: उम्मेद सिंह (दूसरा विवाह)
राजनीतिक दल: समाजवादी पार्टी
पद: सांसद (लोकसभा) – मिर्जापुर से

🌿 प्रारंभिक जीवन:
फूलन देवी का जन्म एक गरीब मल्लाह (नाविक) परिवार में हुआ था। उनका बचपन अत्यंत गरीबी और संघर्ष में बीता। बाल विवाह की प्रथा के चलते उनका विवाह मात्र 11 साल की उम्र में ही एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति से कर दिया गया, जहाँ उनके साथ अत्याचार हुआ। वे बाद में मायके लौट आईं, लेकिन समाज ने उन्हें कभी सम्मान नहीं दिया।

⚔️ डकैत बनने की कहानी:
फूलन देवी को सामाजिक अन्याय, अत्याचार और महिलाओं पर हो रहे शोषण ने विद्रोही बना दिया। कुछ ठाकुर जाति के लोगों द्वारा उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया गया। इसके बाद वे चंबल के डकैतों के गिरोह में शामिल हो गईं। उन्होंने अपने ऊपर हुए अत्याचारों का बदला लेने के लिए 1981 में बेहमई गांव में 22 ठाकुरों की हत्या कर दी, जिससे वे पूरे देश में चर्चित हो गईं। इस घटना के बाद उन्हें “बैंडिट क्वीन” कहा जाने लगा।

🏛️ आत्मसमर्पण और जेल:
फूलन देवी ने 1983 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की मध्यस्थता से आत्मसमर्पण किया। शर्त यह थी कि उन्हें फांसी नहीं दी जाएगी। वे लगभग 11 साल जेल में रहीं।

🗳️ राजनीतिक जीवन:
1994 में जेल से रिहा होने के बाद वे समाजवादी पार्टी से जुड़ीं और 1996 में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनीं। वे दो बार सांसद चुनी गईं और महिलाओं के हक, पिछड़े वर्ग और दलितों के लिए आवाज़ उठाने लगीं।

🕯️ मृत्यु:
25 जुलाई 2001 को दिल्ली में उनके सरकारी आवास के बाहर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। शेर सिंह राणा नामक व्यक्ति ने बदला लेने के उद्देश्य से यह हत्या की।

🌺 विरासत:
  • फूलन देवी आज भी भारत में दलित और पिछड़े वर्गों के लिए संघर्ष और साहस की प्रतीक मानी जाती हैं।
  • उन पर आधारित फिल्म “बैंडिट क्वीन” (1994) ने उनकी कहानी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया।
  • उनके जीवन पर कई किताबें और लेख भी लिखे गए हैं।

🔸 निष्कर्ष:
फूलन देवी का जीवन संघर्ष, साहस, प्रतिशोध और परिवर्तन की एक अनूठी कहानी है। उन्होंने समाज के अन्याय का मुकाबला किया और अंततः एक आम औरत से सांसद तक का सफर तय किया।