डॉ. रामस्वरूप वर्मा की जीवनी

🧠 परिचय
डॉ. रामस्वरूप वर्मा (22 अगस्त 1923 – 19 अगस्त 1998) उत्तर भारत के प्रभावशाली मानवतावादी विचारक, समाज सुधारक व राजनीतिज्ञ थे। उन्हें उत्तर भारत का “अम्बेडकर” और राजनीति का “कबीर” भी कहा जाता है।

👶 प्रारंभिक जीवन
  • जन्म: 22 अगस्त 1923, ग्राम गौरीकरण, कानपुर देहात (अब उत्तर प्रदेश)
  • परिवार: कुर्मी जाति के किसान परिवार से, पिता वंशगोपाल, मां सखिया
  • शैक्षणिक योग्यता:
    • इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम॰ए. (1949), प्रथम स्थान प्राप्त
    • आगरा विश्वविद्यालय से विधि स्नातक (LLB), प्रथम श्रेणी
    • उन्होंने IAS का लिखित परीक्षा उत्तीर्ण किया, पर साक्षात्कार नहीं दिया क्योंकि वे प्रशासनिक जीवन अपेक्षित नहीं समझते
🤝 राजनीतिक जीवन व विचारधारा
  • छात्र जीवन में डॉ. आंबेडकर के विचारों से प्रेरित हुए; बाद में डॉ. राममनोहर लोहिया व आचार्य नरेंद्र देव के संपर्क में आए
  • 1957 में सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) से भोगनीपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित
  • बाद में 1967, 1969, 1980, 1989 व 1991 में विधान सभा के सदस्य रहे; 1967 में चौधरी चरण सिंह की सरकार में उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री बने

💡 प्रमुख उपलब्धियाँ और विचार
20 करोड़ लाभ का बजट
– वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने बिना नया टैक्स लगाए 20 करोड़ रुपये लाभ का बजट पेश किया, जिसे दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों ने हीरान करार दिया – उनका कहना था: “किसान से बेहतर अर्थशास्त्री कोई नहीं होता”—क्योंकि किसान सूखा-बाढ़ झेलता है पर खेती नहीं छोड़ता
🏛️ अर्जक संघ की स्थापना
– 1 जून 1968 को उन्होंने अर्जक संघ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य था राजनीतिक-सांस्कृतिक क्रांति और ब्राह्मणवाद का खंडन
– “अर्जक” का अर्थ श्रम करने वाले से है—यह संगठन श्रमशील समाज को सम्मान हेतु समर्पित था
📚 सामाजिक-मानवतावादी अभियान
– ब्राह्मणवाद, वर्णव्यवस्था, अंधविश्वास और कर्मकांड का सख्त विरोध किया – उन्होंने ब्राह्मणवादी विवाह व त्यौहारों का विकल्प सामाजिक मानवतावादी रूप में पेश किया
– “रामायण और मनुस्मृति” का दहन अभियान चलाया (14–30 अप्रैल 1978), चेतना दिवस मनाया, और हिन्दुत्व के बाहरी प्रतीकों पर सवाल उठाए
📖 लेखन और साहित्यिक योगदान
कुछ प्रमुख रचनाएँ:
  • Manavwadi Prashnotri
  • Kranti Kyon aur Kaise
  • Manusmriti Rashtra ka Kalank
  • Achuton ki Samasya aur Samadhan
  • Niradar Kaise Mite?
    इनमें उन्होंने वर्णवाद-विरोधी, मानवतावाद और बहुजन अधिकारों की बहस रखी

🏛️ राजनीतिक सिद्धांत और आंदोलन
  • 1969 में संसोपा छोड़कर शोषित समाज दल का गठन किया; नारा दिया:
    “देश का शासन नब्बे पर नहीं चलेगा… सौ में नब्बे शोषित हैं… शोषितों का राज, शोषितों के लिए…”
  • मानवतावादी चेतना और आंदोलन को उन्होंने चार क्षेत्रों—सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक—में क्रांति का माध्यम माना

🕯️ मृत्यु और संस्कृति में स्थान
  • निधन: 19 अगस्त 1998, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में
  • स्मृति:
    • उनका जन्मदिवस (22 अगस्त) और पुण्यतिथि (19 अगस्त) बहुजन समाज में बड़े पैमाने पर मनाये जाते हैं
    • उनके नाम पर हेल्थ व सामाजिक न्याय संगठनों द्वारा सप्ताह, दिवस और आयोजन आयोजित किए जाते हैं

🔚 निष्कर्ष
डॉ. रामस्वरूप वर्मा एक ऐसे चिंतक – नेता – समाज सुधारक थे, जिन्होंने केवल राजनीति नहीं, बल्कि विचार और संस्कृति में बदलाव लाने की राह चुनी। उनका संघर्ष ब्राह्मणवादी व्यवस्था को पूर्णतया नकारने की, वर्ण व्यवस्था और अंधविश्वास से ऊपर उठकर मानवतावाद की स्थापना की दिशा में था।
उनकी जीवनकथा हमें यह सिखाती है कि आत्मनिर्भरता के सिद्धांत, साझा चेतना और सामाजिक न्याय की लड़ाई बिना सत्ता के भी सशक्त रूप में चली जा सकती है।