🌟 प्रारंभिक जीवन
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जन्म: 28 फरवरी 1928, जयपुर (राजस्थान) के बागास गांव में, अनुसूचित वाल्मीकि (चमार) समुदाय में
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परिवार अत्यंत गरीब था, पिता मजदूरी करते थे, लेकिन जातिवाद और अपमान के कारण घर से चलने का साहस दिखाया गया — एक जातिवादी गांववाले ने बालक की भैंस पर आपत्ति जताई, जिससे यह ज्वाला दीना भाना के मन में प्रज्वलित हुई
📚 दिल्ली से पुणे तक का संघर्ष
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परिवार को छोड़कर दिल्ली चले गए, जहाँ वे बाबा साहेब Dr. भीमराव आंबेडकर जी की प्रेरक वाद्याओं से प्रभावित हुए
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बाद में पुणे पहुंचे और DRDO (रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन) में चौथे श्रेणी का कर्मचारी नियुक्त हुए — सफाई कर्मी के रूप में कार्य किया
✊ बहुजन आंदोलन में अग्रणी भूमिका
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उन्होंने DRDO में 14 अप्रैल (आंबेडकर जयंती) की छुट्टी की मांग की — प्रशासन ने इसे नकारा, जिसके बाद यह संघर्ष यूनियन और आंदोलन का रूप ले चुका था
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इस संघर्ष ने Dr. कांशीराम जी और D. K. खापर्डे जी जैसे भविष्य के नेताओं को प्रभावित किया; अंततः 1978 में BAMCEF (Backward and Minority Communities Employees Federation) के संस्थापक सदस्यों में शुमार हुए
🏛️ बहुजन समाज पार्टी का आरंभ
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दीना भाना की सक्रिय भूमिका और नेतृत्व ने कांशीराम जी को 14 अप्रैल को “आंबेडकर जयंती” को स्थानांतरित करने, यूनियन संगठन को सशक्त करने, और अंततः 1984 में बसपा (बहुजन समाज पार्टी) की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया
🧑⚖️ प्रेरणा स्रोत और नेतृत्व
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वे अत्यंत दृढनिश्चयी, आदर्शवादी, और परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्ध नेता थे। बामसेफ और बसपा के गठन में उनकी भूमिका अनन्य थी।
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उन्हें दलित-बहुजन समाज में जागरूकता और सक्रियता लाने वाला क्रांतिकारी माना जाता है
🕯️ स्मृति एवं विरासत
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हर साल उनके जन्मदिन (28 फरवरी) को दीना भाना स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है और उनकी भूमिका के महत्व को याद किया जाता है
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लेकिन व्यापक स्तर पर उनका नाम संघर्ष के बावजूद जनता और इतिहास में कम उजागर रहा
📋 सारांश – एक दृष्टि
पहलू |
विवरण |
---|---|
जन्म |
28 फरवरी 1928, जयपुर, राजस्थान |
जाति |
अनुसूचित वाल्मीकि (चमार) |
प्रारंभिक संघर्ष |
जातिगत अपमान के कारण परिवार से अलग हो गए |
प्रेरणा |
Dr. B.R. Ambedkar के विचारों से प्रभावित |
आरंभिक करियर |
DRDO में चौथा श्रेणी कर्मचारी (सफाई कर्मी) |
संघर्ष |
Ambedkar जयंती की छुट्टी और संघ संगठन में भूमिका |
संस्थागत योगदान |
BAMCEF और BSP के संस्थापक सदस्य |
निधन/पुण्यतिथि |
स्मरणीय सामाजिक हस्ती, स्मृति दिवस मनाया जाता है |