छत्रपती शाहूजी महाराज की जीवनी

👑 पूरा नाम: राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज
📛 उपाधियाँ:
  • राजर्षि (धर्म और समाज के महान राजा)
  • समाज सुधारक सम्राट
  • बहुजन हिताय – बहुजन सुखाय के समर्थक
📅 जन्म: 26 जून 1874
🏡 जन्म स्थान: काबूल (अफगानिस्तान)
👨‍👩‍👦 दत्तक पिता:** छत्रपति शिवाजी चतुर्थ (कोल्हापुर के राजा)
🕯 निधन: 6 मई 1922

🌱 परिचय:
छत्रपति शाहूजी महाराज महाराष्ट्र के कोल्हापुर राज्य के प्रजावत्सल और समाजसुधारक शासक थे। वे दलितों, पिछड़ों, किसानों, महिलाओं और गरीबों के सच्चे हितैषी थे। उन्होंने सामाजिक न्याय, शिक्षा और समानता के लिए अनेक क्रांतिकारी कार्य किए।

🎓 शिक्षा:
  • प्रारंभिक शिक्षा राजकुमार स्कूल, राजकोट में
  • उच्च शिक्षा राजकुमार कॉलेज, लंदन (ब्रिटेन) में प्राप्त की
  • उन्होंने आधुनिक विचारधारा और सामाजिक परिवर्तन की शिक्षा ग्रहण की

🏛 राज्याभिषेक और शासन:
  • शाहूजी महाराज का राज्याभिषेक 1894 में हुआ
  • उन्होंने 28 वर्षों तक कोल्हापुर राज्य पर न्याय और समानता के सिद्धांतों से शासन किया

⚖️ मुख्य समाज सुधार कार्य:
🧑‍🏫 1. शिक्षा के क्षेत्र में योगदान:
  • 1902 में पिछड़े वर्गों के लिए 50% आरक्षण लागू किया – यह भारत में पहला आरक्षण था
  • दलित, पिछड़ों और लड़कियों की शिक्षा के लिए विशेष विद्यालय खोलवाए
  • गरीब छात्रों के लिए छात्रवृत्तियाँ
  • स्कूलों में सभी जातियों के बच्चों को एकसाथ बैठने की अनुमति दी
  • अछूतों को मंदिर प्रवेश की अनुमति दी
👨‍🌾 2. किसानों और मजदूरों के हित में:
  • किसानों पर लगान कम किया
  • कृषि विकास, सिंचाई और रोजगार योजनाएँ शुरू कीं
  • मजदूरों के अधिकारों की रक्षा की
🧹 3. छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ:
  • अछूतों को पानी के सार्वजनिक स्त्रोतों से पानी लेने का अधिकार दिया
  • मंदिर प्रवेश और सरकारी नौकरियों में भागीदारी सुनिश्चित की
  • जाति प्रथा और ब्राह्मणवादी वर्चस्व का विरोध किया
📰 4. प्रेस और साहित्य का प्रोत्साहन:
  • बहिष्कृत भारत जैसे समाचारपत्रों को समर्थन
  • दलितों और पिछड़ों को अपनी आवाज़ उठाने का मंच प्रदान किया

🙌 डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर से संबंध:
  • शाहूजी महाराज ने डॉ. आंबेडकर को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहन और आर्थिक सहायता दी
  • बाबासाहेब ने उन्हें “न्याय और समानता का संरक्षक” कहा

🏅 उपलब्धियाँ और विरासत:
  • भारत में सामाजिक आरक्षण लागू करने वाले पहले शासक
  • भारत के पहले प्रगतिशील और लोकतांत्रिक राजा
  • उन्हें “राजर्षि” की उपाधि दी गई
  • आज भी उन्हें सामाजिक न्याय, समता और बहुजन हित के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है

✍️ प्रेरणादायक कथन:
“शिक्षा ही वास्तविक शस्त्र है जिससे समाज की बेड़ियाँ तोड़ी जा सकती हैं।”

🕯 निधन:
  • शाहूजी महाराज का निधन 6 मई 1922 को हुआ
  • उनका जीवन कार्य आज भी संविधान और सामाजिक आंदोलन की नींव है