विपश्यना धम्म

विपश्यना शिविर – प्रवचनों में प्रयुक्त पालि-पद

“नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स!” – नमस्कार है उन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को! “ये च बुद्धा अतीता च, ये च बुद्धा अनागता। पच्चुप्पना च ये बुद्धा, अहं वन्दामि सब्बदा ॥” – जितने भी बुद्ध हुए हैं अतीत काल में, जितने भी बुद्ध होंगे आने वाले काल में, जितने भी बुद्ध हैं वर्तमान काल में, उन …

विपश्यना शिविर – प्रवचनों में प्रयुक्त पालि-पद Read More »

तथागत बुद्ध ने कहा – इस संसार मे चार प्रकार के लोग हैं ।

(1) अंधकार से अंधकार की ओर जानेवाले ………. ऐसा व्यक्ति जिसके जीवन में अंधकार हैं , अविद्या हैं, बुरे कर्म करता हैं। अकुशल कर्म करता हैं, बेहोशी में जीवन नष्ट करता हैं । ऐसा व्यक्ति आज तो दुखी हैं ही, लेकिन आगे के लिये भी दुःख के बीज बोता हैं। (2) अंधकार से प्रकाश की …

तथागत बुद्ध ने कहा – इस संसार मे चार प्रकार के लोग हैं । Read More »

मन का स्वभाव कैसे बदलें?

सारे कर्मों को सुधारने के लिए मन के कर्मों को सुधारना होता है और मन के कर्म को सुधारने के लिए मन पर पहरा लगाना होता है। कैसे कोई पहरा लगाएगा जब यह ही नहीं जानता कि मन क्या है और कैसे काम करता है ? उसका शरीर से क्या संबंध है ? वह शरीर …

मन का स्वभाव कैसे बदलें? Read More »

श्रेष्ठ मंगल क्या है?

एक समय भगवान श्रावस्ती नगर के जेतवन उद्यान में श्रेष्टी अनाथपिडिक द्वारा बनवाये संघाराम में विहार कर रहे थे। उस समय भगवान से पूछा गया: – “बहू देवा मनुस्सा च, मङ्गलानि अचिन्तयुं । आकङ्खमाना सोत्थानं, ब्रूहि मङ्गलमुत्तमं ॥” – कल्याण की कामना करते हुए कितने ही देव और मनुष्य मंगल-धर्मों के संबंध में चिंता-मग्न रहे …

श्रेष्ठ मंगल क्या है? Read More »

धन्य हुई वैशाख पूर्णिमा!

वर्ष – महाशाक्य-राजसंवत, 68 ऋतु – ग्रीष्म मास – वैशाख दिवस – शुक्रवार तिथि – पूर्णिमा नक्षत्र – विशाखा समय – ऊषाकाल ब्रह्म मुहूर्त ग्रीष्म के ताप से उत्तप्त हुई धरती को सारी रात शुद्ध शीतल शर्वरी (ज्योत्स्ना) से नहला कर पूर्णिमा का चांद विश्राम के लिए पश्चिमी क्षितिज की ओर बढ़ रहा है। पूर्वी …

धन्य हुई वैशाख पूर्णिमा! Read More »

🌺बुद्ध जयन्ती – वैशाख पूर्णिमा🌺

(यह लेख 28 वर्ष पूर्व पूज्य गुरुजी द्वारा म्यंमा(बर्मा) से भारत आने के पूर्व वर्ष 1968 की वैशाख पूर्णिमा पर लिखा गया था जो वहां की ब्रह्म भारती” नामक मासिक पत्रिका में छपा और ‘आल बर्मा हिंदू सेंट्रल बोर्ड रंगून द्वारा पुनः पत्रक के रूप में छपवाकर वितरित किया गया था। आज की वैशाख पूर्णिमा …

🌺बुद्ध जयन्ती – वैशाख पूर्णिमा🌺 Read More »

लोक गुरु बुद्ध

“गौतम बुद्ध को गृहस्थ जीवन की कठिनाइयों और पेचीदगियों की जानकारी कहां थी? राजकुमार के जीवनकाल में विवाह के पश्चात पुत्र राहुल के जन्म लेते ही उन्होंने गृह त्याग दिया। तदनंतर गृहत्यागी श्रमण का जीवन जीते रहे। उन्होंने स्वयं गृहस्थ का सफल जीवन नहीं जिया । वे औरों को गृहस्थ धर्म के से सिखा पाते …

लोक गुरु बुद्ध Read More »

धर्म क्या है?

धर्म जीवन जीने की कला है। स्वयं सुख से जीने की तथा औरों को सुख से जीने देने की। सभी सुखपूर्वक जीना चाहते हैं, दुखों से मुक्त रहना चाहते हैं। परंतु जब हम यह नहीं जानते कि वास्तविक सुख क्या है और यह भी नहीं जानते कि उसे कैसे प्राप्त कि या जाए तो झूठे …

धर्म क्या है? Read More »

मन बंधन का मूल

मन बंधन का मूल है, मन ही मुक्ति उपाय। विकृत मन जकड़ा रहे, निर्विकार खुल जाय ॥ मन के भीतर ही छिपी, स्वर्ग सुखों की खान । मन के भीतर धधकती, ज्वाला नरक समान ॥ कुदरत का कानून है, सब पर लागू होय । मैले मन व्याकुल रहे, निर्मल सुखिया होय ॥ अपने मन का …

मन बंधन का मूल Read More »

क्या होता हैं मृत्यु के समय ?

इसे समझने के पहले थोड़े में यह समझ लें कि मृत्यु है क्या? सत्य सतत् प्रवहमान परिवर्तनशील नदी जैसी भावधारा की एक मोड़ है, उसका एक पलटाव है, एक घुमाव है। लगता यों है कि मृत्यु हुई तो भवधारा ही समाप्त हो गयी। परतु बुद्ध या अहंत हो तो बात अलग है अन्यथा सामान्य व्यक्ति …

क्या होता हैं मृत्यु के समय ? Read More »