पच्चुपन्ना च ये बुद्धा, अहं वन्दामि सब्बदा
बुद्ध ही बुद्ध है, बुद्ध ही बुद्ध है
हर जगह , हर समय वो सिद्ध है वो सिद्ध है
मन मे तुम्हारे बसता वो गुणवान है
सम्यक शिक्षा से करता जो शीलवान है
अहिंसा की ताकत से जो बलवान है,
वो बुद्ध है, वो बुद्ध है, वो बुद्ध है
स्वयं पर तू स्वयं ध्यान कर ,
हलचल, ह्रदय की स्पन्दनो को जान कर
नित्य नियंत्रण से खुदकी पहचान कर
पायेगा जब तू विजय स्वार्थ पर
विकृती पर तू निरंतर मात कर
दृढ निश्चय से जब चित्त तेरा शुद्ध है
तू बुद्ध है, तू बुद्ध है, तू बुद्ध है
परिवर्तन ही है ये जीवन का नियम
क्यो न हो ये धर्म का भी अधिनियम,
मैत्री प्रग्या शील हो जिसमे
सदैव तन मन पर संयम
कर पूजा सदगुणोंकी ए नादान
ईश्वर क्या बने, तू पहले बन इन्सान
कर्मकांडोसे नही मिलता भगवान
चमत्कार नही दुनिया मे तू मान
मानव सेवा हि तुझसे नितीबद्ध है
तू बुद्ध है, तू बुद्ध है, तू बुद्ध है
जब चले हिंसा हि आंधी
निर्लज्ज उठाये पापो का तुफान
ले चला जगत को विनाश के पथ पर
बेधुंद अहंकारी बना इन्सान
देखो उसे ढुंढो उसे पाओ उसे ,
अंतर्मनमें, जन-मन-तन मे
दीपक शांती का, करूणा का वो सागर ,
प्रग्या कि जो मूर्ती, दिव्य भाग्यशील नगर
देखो उसे ढुंढो उसे पाओ उसे ,
इस जगत का, इस धरा का वो मार्गदाता श्रेष्ठ है
इस जगत का, इस धरा का मार्गदाता श्रेष्ठ है ,
वो बुद्ध है, वो बुद्ध है, वो बुद्ध है
बुद्ध ही बुद्ध है, बुद्ध ही बुद्ध है
हर जगह , हर समय वो सिद्ध है वो सिद्ध है
गीत : राजेश ढाबरे
अल्बम : बुद्ध ही बुद्ध है