भगत सिंह की जीवनी

🟢 पूरा नाम: भगत सिंह

🟢 उपनाम: शहीद-ए-आज़म भगत सिंह

🟢 जन्म: 28 सितंबर 1907

🟢 जन्म स्थान: बंगा गाँव, लायलपुर जिला, पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान)

🟢 मृत्यु: 23 मार्च 1931 (उम्र 23 वर्ष)

🟢 मृत्यु स्थान: लाहौर सेंट्रल जेल (अब पाकिस्तान)

🟢 पिता: सरदार किशन सिंह

🟢 माता: विद्यावती कौर

🟢 धर्म: सिख (बाद में नास्तिक विचारों को अपनाया)

🟢 पेशा: स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी लेखक, विचारक


🔸 परिचय:

भगत सिंह भारत के महान क्रांतिकारी, विचारक और ‘शहीद-ए-आज़म’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सबसे साहसी और प्रेरणादायक चेहरा बने। उन्होंने बहुत कम उम्र में देश के लिए प्राणों की आहुति दी और युवाओं के आदर्श बन गए।


🔸 प्रारंभिक जीवन:

  • भगत सिंह का जन्म एक देशभक्त परिवार में हुआ था।

  • उनके जन्म के समय उनके पिता और चाचा स्वतंत्रता संग्राम में जेल में थे।

  • बचपन से ही भगत सिंह के मन में देशभक्ति और क्रांति के बीज पड़ चुके थे।


🔸 शिक्षा और विचार:

  • उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की।

  • वे पढ़ने-लिखने, लेखन और विचार-विमर्श में रुचि रखते थे।

  • उन्होंने क्रांतिकारी साहित्य, समाजवाद, और मार्क्सवाद का अध्ययन किया।

  • उन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा का विरोध किया और स्वयं को नास्तिक घोषित किया।


🔸 क्रांतिकारी गतिविधियाँ:

🔹 1. लाला लाजपत राय की मौत का बदला:

  • 1928 में लाला लाजपत राय पर अंग्रेजों द्वारा लाठीचार्ज से उनकी मृत्यु हो गई।

  • इसका बदला लेने के लिए भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने सांडर्स की हत्या की।

🔹 2. असेंबली में बम फेंकना (1929):

  • भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ब्रिटिश असेंबली में बम फेंका, ताकि उनका ध्यान जनता के दमन की ओर जाए।

  • बम “ध्यान खींचने” के लिए था, किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया गया।

  • इसके बाद उन्होंने खुद को गिरफ्तार करवा दिया।


🔸 जेल में लेखन और संघर्ष:

  • जेल में रहते हुए भगत सिंह ने “मैं नास्तिक क्यों हूँ” जैसे कई विचारपूर्ण लेख लिखे।

  • उन्होंने कैदियों के अधिकारों के लिए भूख हड़ताल की।


🔸 फाँसी और बलिदान:

  • भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 23 मार्च 1931 को फाँसी दी गई

  • फाँसी से पहले वे पूरी शांति और गर्व से राष्ट्रगान गाते रहे और “इंकलाब जिंदाबाद” का नारा लगाया।


🔸 प्रमुख नारे:

  • “इंकलाब जिंदाबाद”

  • “साम्राज्यवाद मुर्दाबाद”

  • “किसी को मारना आसान है, पर विचारों को नहीं मारा जा सकता।”


🔸 विरासत और सम्मान:

  • भगत सिंह को भारत के सबसे युवा और साहसी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है।

  • उनकी जीवनी, नारे और विचार आज भी युवाओं को प्रेरणा देते हैं।

  • भारत में 23 मार्च को ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

  • उनके नाम पर कई सड़कें, स्टेडियम, यूनिवर्सिटी और संग्रहालय बनाए गए हैं।


🔸 निष्कर्ष:

भगत सिंह का जीवन देशभक्ति, विचारधारा और बलिदान की मिसाल है। उन्होंने यह दिखा दिया कि विचारों की ताकत बंदूकों से कहीं अधिक होती है। उनका सपना था एक समानता और न्याय आधारित भारत, जिसके लिए उन्होंने अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए।