पूरा नाम: बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा
जन्म: 2 फरवरी 1922, क़ुर्था गाँव, जहानाबाद जिला, बिहार
जाति: कोइरी (कुशवाहा), जो कि पिछड़ा वर्ग (OBC) में आता है
उपनाम: बिहार का लेनिन
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📚 शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
बाबू जगदेव प्रसाद का जन्म एक गरीब लेकिन स्वाभिमानी परिवार में हुआ था।
उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गाँव में प्राप्त की और फिर पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
उनके विचारों को गहराई से प्रभावित करने वाले समाज सुधारक थे:
ज्योतिबा फुले
ई.वी. रामासामी पेरियार
डॉ. भीमराव अंबेडकर
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✊ सामाजिक और राजनीतिक योगदान
उन्होंने दलितों, पिछड़ों और शोषित वर्गों के हक़ के लिए आजीवन संघर्ष किया।
वे सामाजिक भेदभाव, जातिवाद और आर्थिक असमानता के प्रखर विरोधी थे।
उन्होंने एक क्रांतिकारी नेता के रूप में पहचान बनाई और उन्हें “बिहार का लेनिन” कहा गया।
उनकी प्रमुख माँगें थीं:
✔ समान शिक्षा और अवसर
✔ ज़मीन का बंटवारा
✔ पिछड़े वर्गों की राजनीतिक भागीदारी
✔ सामाजिक न्याय और आरक्षण
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🕯 बलिदान और विरासत
बाबू जगदेव प्रसाद ने शोषण और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हुए शहादत दी।
उनकी विचारधारा आज भी बिहार और भारत में सामाजिक न्याय के आंदोलन को प्रेरणा देती है।
हर वर्ष 2 फरवरी को उनकी जयंती और 5 सितंबर को शहादत दिवस मनाया जाता है।
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शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
प्रारंभिक शिक्षा गाँव में हुई।
उच्च शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
विषय: अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान
बचपन से ही उन्होंने समाज में व्याप्त जातीय भेदभाव और शोषण को देखा और अनुभव किया।
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✊ राजनीतिक विचारधारा और आंदोलन
बाबू जगदेव प्रसाद ने भारत में सामाजिक न्याय, जातिवाद के विरोध और वंचित वर्गों के अधिकार के लिए संघर्ष किया।
🔥 उनके विचारों की प्रमुख विशेषताएँ:
सामाजिक क्रांति के लिए जाति व्यवस्था को तोड़ना आवश्यक है।
भूमिहीन किसानों और दलितों को ज़मीन और शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए।
पिछड़े वर्गों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
आरक्षण को पूरी तरह लागू किया जाना चाहिए।
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🗣 प्रसिद्ध नारे (Famous Slogans of Jagdev Babu)
> 🔥 “हम 90 फ़ीसदी हैं, 90 भाग हमारा है।”
🔥 “सामंतवाद मुर्दाबाद!”
🔥 “जो धरती को जोतेगा, वही धरती का मालिक होगा!”
🔥 “पूंजीवाद, जातिवाद, सामंतवाद – भारत छोड़ो!”
इन नारों ने युवाओं और किसानों को जागरूक किया और आंदोलन को जन-आंदोलन बना दिया।
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🗨 भाषणों की झलकियाँ
बाबू जगदेव प्रसाद के भाषणों में आग होती थी। वे हमेशा कहते थे:
> “जब तक खेतों पर हल चलाने वाला भूखा रहेगा, तब तक यह देश कभी भी आज़ाद नहीं हो सकता।”
“ब्राह्मणवाद, पूंजीवाद और सामंतवाद — ये तीनों भारत के असली दुश्मन हैं।”
“मेरे शरीर को गोली से छलनी किया जा सकता है, लेकिन मेरे विचारों को कभी मारा नहीं जा सकता।”
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💥 शहादत (Martyrdom)
5 सितंबर 1974 को कुर्था (जहानाबाद) में एक आंदोलन के दौरान उन्हें पुलिस की गोली लगी।
उन्होंने दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की लड़ाई में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
वे ज़िंदा रहते हुए ही एक प्रतीक बन गए थे।
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🌟 विरासत (Legacy)
आज भी उन्हें “बिहार के लेनिन” के नाम से याद किया जाता है।
बिहार में उनके अनुयायियों द्वारा 5 सितंबर को “शहादत दिवस” और 2 फरवरी को “जयंती” के रूप में मनाया जाता है।
कई संस्थाएँ और राजनीतिक संगठन (जैसे इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक कांग्रेस) उनके नाम से चलते हैं।
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📖 उनकी विचारधारा के मुख्य स्तंभ:
विषय उनका दृष्टिकोण
शिक्षा सभी को समान अवसर
भूमि जो जोते, वही मालिक
राजनीति पिछड़ों को प्रतिनिधित्व
धर्म जातिविहीन समाज की कल्पना
समाज बराबरी, बंधुता और न्याय
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🙏 श्रद्धांजलि संदेश
> “बाबू जगदेव प्रसाद जैसे योद्धा शरीर से भले चले गए हों, लेकिन विचारों के रूप में वे आज भी ज़िंदा हैं।”
“वे सिर्फ एक नेता नहीं, एक क्रांति थे।”
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📌 सारांश:
बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा एक प्रखर समाज सुधारक, शिक्षावादी और राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने जीवन भर दलितों और पिछड़ों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनका जीवन प्रेरणा है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो समाज में समानता और न्याय की स्थापना चाहते हैं।
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