डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर — जिन्हें हम आदर से बाबासाहेब कहते हैं — केवल भारतीय संविधान के निर्माता ही नहीं थे, बल्कि वे एक गहरे वैचारिक क्रांतिकारी भी थे।
उनका जीवन प्रश्न करता है, तर्क करता है और अन्याय से टकराता है।
लेकिन एक सवाल आज भी लोगों को चौंकाता है 👇
👉 बाबासाहेब के महान गुरु कौन थे?
उत्तर किसी एक नाम तक सीमित नहीं है।
बाबासाहेब के विचार तीन महान गुरुओं से प्रेरित थे —
🙏 तथागत गौतम बुद्ध
🔥 महात्मा ज्योतिबा फुले
🪔 संत कबीर
ये तीनों उनके वैचारिक, नैतिक और सामाजिक गुरु थे।
🌼 1. तथागत गौतम बुद्ध – करुणा और प्रज्ञा के सर्वोच्च गुरु
बाबासाहेब आंबेडकर के सबसे बड़े और अंतिम गुरु थे — तथागत गौतम बुद्ध।
बुद्ध ने सिखाया:
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मनुष्य जन्म से नहीं, कर्म से महान बनता है
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दुःख का कारण अज्ञान और तृष्णा है
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कोई ऊँच-नीच ईश्वर ने नहीं बनाई
बाबासाहेब ने बुद्ध को:
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महान समाज सुधारक
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पहले वैज्ञानिक चिंतक
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मानव समानता का प्रतीक
माना।
📖 उन्होंने स्वयं लिखा:
“बुद्ध का धम्म सबसे तर्कसंगत और मानवतावादी धर्म है।”
यही कारण था कि 14 अक्टूबर 1956 को बाबासाहेब ने नागपुर की दिक्षाभूमि में बौद्ध धम्म स्वीकार किया।
🔥 2. महात्मा ज्योतिबा फुले – शिक्षा और सामाजिक क्रांति के गुरु
यदि बुद्ध बाबासाहेब के आध्यात्मिक गुरु थे,
तो महात्मा ज्योतिबा फुले उनके सामाजिक गुरु थे।
फुले ने बाबासाहेब को सिखाया:
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शिक्षा ही असली मुक्ति है
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जाति-व्यवस्था मानवता के खिलाफ है
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स्त्री और शूद्र भी समान अधिकारों के हकदार हैं
फुले के क्रांतिकारी कार्य:
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भारत का पहला बालिका विद्यालय
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सत्यशोधक समाज की स्थापना
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ब्राह्मणवादी पाखंड का खुला विरोध
🖋️ फुले की पंक्ति:
“विद्या बिना मति गई, मति बिना नीति गई…”
बाबासाहेब के शिक्षा आंदोलन और सामाजिक संघर्ष की जड़ें यहीं थीं।
🪔 3. संत कबीर – सत्य और निर्भीकता के गुरु
संत कबीर बाबासाहेब के लिए सत्य बोलने का साहस थे।
कबीर ने कहा:
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मंदिर-मस्जिद में नहीं, ईश्वर मनुष्य के भीतर है
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कर्मकांड और पाखंड व्यर्थ हैं
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जाति पूछना मूर्खता है
कबीर का अमर दोहा:
“जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।”
कबीर की निर्भीकता और सीधी भाषा ने बाबासाहेब को
👉 बिना डरे सत्य कहने की ताकत दी।
🔗 तीनों गुरुओं की एक साझा धारा
| बुद्ध | फुले | कबीर |
|---|---|---|
| करुणा | शिक्षा | सत्य |
| तर्क | सामाजिक न्याय | निर्भीकता |
| समानता | स्त्री मुक्ति | मानवता |
| अंधविश्वास विरोध | जाति विरोध | पाखंड विरोध |
➡️ तीनों ने शोषणकारी व्यवस्था को चुनौती दी
➡️ तीनों ने आम इंसान को आत्मसम्मान दिया
➡️ तीनों ने धर्म को मानवता से जोड़ा
🌏 बाबासाहेब – शिष्य नहीं, उत्तराधिकारी
बाबासाहेब स्वयं को केवल इन गुरुओं का शिष्य नहीं मानते थे,
बल्कि वे उनके अधूरे कार्य के उत्तराधिकारी थे।
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बुद्ध का धम्म → संविधान और नैतिकता में
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फुले का विचार → शिक्षा और सामाजिक कानूनों में
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कबीर की निर्भीकता → सत्य और तर्क की आवाज़ में
✨ निष्कर्ष
👉 बाबासाहेब आंबेडकर के महान गुरु थे —
बुद्ध, फुले और कबीर।
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बुद्ध ने उन्हें करुणा और प्रज्ञा दी
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फुले ने उन्हें शिक्षा और संघर्ष सिखाया
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कबीर ने उन्हें सत्य बोलने का साहस दिया
इन तीनों विचारों का संगम ही बाबासाहेब आंबेडकर हैं।
