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🧑⚖️ पूरा नाम: बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल (Bindeshwari Prasad Mandal)
जन्म: 25 अगस्त 1918
जन्म स्थान: मुरहो गांव, जिला मधेपुरा, बिहार
मृत्यु: 13 अप्रैल 1982
पेशा: राजनेता, समाज सुधारक
प्रसिद्धि: मंडल आयोग के अध्यक्ष के रूप में प्रसिद्ध
📚 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
बी. पी. मंडल का जन्म एक समृद्ध ज़मींदार परिवार में हुआ था। वे यादव जाति से थे, जो पिछड़े वर्ग में आती है।
उन्होंने पटना और लाहौर विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की।
🏛️ राजनीतिक जीवन की शुरुआत:
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वे स्वतंत्रता संग्राम से प्रभावित होकर राजनीति में आए।
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1946 में पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने।
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बाद में वे केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
👨⚖️ मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल:
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1968 में बिहार के मुख्यमंत्री बने लेकिन यह कार्यकाल बहुत छोटा था (मात्र 30 दिन)।
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इसके बावजूद वे गरीबों और पिछड़ों के अधिकारों की आवाज़ बन गए।
🧾 मंडल आयोग (Mandal Commission):
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1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने बी. पी. मंडल की अध्यक्षता में “मंडल आयोग” का गठन किया।
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इस आयोग का उद्देश्य था – भारत में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (OBC) की पहचान करना और उन्हें आरक्षण की सिफारिश करना।
📌 मंडल आयोग की मुख्य सिफारिशें:
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भारत की कुल आबादी में OBC की जनसंख्या लगभग 52% है।
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इसलिए 27% आरक्षण सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में OBC को दिया जाए।
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आयोग ने सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक मानदंडों के आधार पर पिछड़ेपन को परिभाषित किया।
📢 मंडल आयोग की रिपोर्ट और प्रभाव:
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आयोग ने 1980 में रिपोर्ट सौंपी लेकिन तत्काल लागू नहीं हुई।
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1990 में प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह ने इसे लागू किया।
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इसके कारण देशभर में छात्र आंदोलन हुए – कुछ ने समर्थन किया, कुछ ने विरोध।
➡️ लेकिन इससे OBC वर्ग को अधिकार और सामाजिक न्याय मिलने की दिशा में बड़ा कदम माना गया।
🎖️ उपलब्धियाँ और योगदान:
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समाज के कमजोर वर्गों की आवाज़ बने।
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आरक्षण के माध्यम से हजारों गरीब और पिछड़े युवाओं को आगे बढ़ने का अवसर मिला।
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उनका योगदान भारतीय सामाजिक न्याय व्यवस्था में ऐतिहासिक माना जाता है।
🕊️ मृत्यु:
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13 अप्रैल 1982 को उनका निधन हुआ।
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लेकिन उनका नाम हमेशा “मंडल आयोग” के माध्यम से याद किया जाता है।
✅ मुख्य विचार / उद्धरण:
“देश में जब तक सामाजिक असमानता रहेगी, तब तक सच्चा लोकतंत्र अधूरा रहेगा।”
– बी. पी. मंडल