महार रेजिमेंट – भारतीय सेना का वीर गौरव

भारत की आज़ादी और सुरक्षा के इतिहास में कई वीर रेजिमेंट्स ने अपना योगदान दिया है, लेकिन कुछ रेजिमेंट्स ऐसी हैं जिनका इतिहास सिर्फ वीरता का नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और आत्म-सम्मान की मिसाल भी है।महार रेजिमेंट ऐसी ही एक गौरवशाली सैन्य इकाई है, जिसने न सिर्फ दुश्मनों से लड़ाई लड़ी, बल्कि जातिगत भेदभाव और […]

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📿 बौद्ध धर्म का प्रभाव: दलित समाज की प्रगति की मूल आधारशिला!

भारत का सामाजिक इतिहास सदियों तक जाति-आधारित भेदभाव और शोषण से प्रभावित रहा है। विशेष रूप से दलित समाज को शिक्षा, धर्म और सम्मान से दूर रखा गया। ऐसे समय में बौद्ध धर्म ने दलित समाज के लिए आशा की किरण और सम्मानजनक जीवन का रास्ता दिखाया। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा नवबौद्ध चळवळ के माध्यम

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📝 सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति / जनजाति (SC/ST) के लिए आरक्षण – एक विस्तृत मार्गदर्शन

भारत के संविधान निर्माताओं ने समाज के वंचित, शोषित और ऐतिहासिक रूप से पिछड़े वर्गों को समान अवसर और सामाजिक न्याय दिलाने के लिए आरक्षण प्रणाली लागू की। विशेष रूप से अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए शिक्षा, रोजगार और राजनैतिक प्रतिनिधित्व में आरक्षण प्रदान किया गया। सरकारी नौकरियों में दिया गया

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📚 पाली साहित्य – बौद्ध धर्म का मौलिक स्वर और ज्ञान का अमूल्य भंडार

📖 पाली साहित्य क्या है? पाली साहित्य मुख्यतः बुद्ध के उपदेशों और उनके शिष्यों के संवादों का संग्रह है। इसमें शामिल ग्रंथ बौद्ध संघ की परंपरा, जीवन शैली और बौद्ध दर्शन को विस्तृत रूप से बताते हैं। इस साहित्य का मूल स्त्रोत है “तीपिटक (Tripitaka)” – अर्थात तीन पिटकों का संकलन: 📚 त्रिपिटक के तीन

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📞 दलितों पर अन्याय और अत्याचार से संबंधित हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी

भारत के संविधान में हर नागरिक को समानता, स्वतंत्रता और सम्मान का अधिकार प्राप्त है। लेकिन इसके बावजूद आज भी कई जगहों पर दलित समाज पर अन्याय, भेदभाव और अत्याचार की घटनाएँ सामने आती हैं। इन घटनाओं के खिलाफ कानूनी संरक्षण और त्वरित सहायता प्राप्त करने के लिए सरकार ने विभिन्न हेल्पलाइन नंबर और पोर्टल

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📝 अनुसूचित जाति / जनजाति (SC/ST) के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजनाएँ |

भारत के संविधान ने समानता, सामाजिक न्याय और अवसर की उपलब्धता को हर नागरिक का मूल अधिकार माना है। परंतु ऐतिहासिक रूप से अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्गों को शिक्षा, रोजगार और सामाजिक अवसरों से वंचित रखा गया। इसी सामाजिक असमानता को दूर करने के उद्देश्य से भारत सरकार और राज्य सरकारें

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🌟 दलित समाज की प्रेरणादायी सफल व्यक्तियों की कहानियाँ

🪔 प्रस्तावना:भारत का इतिहास जातिगत असमानताओं से भरा रहा है, जिसमें दलित समाज को सदियों तक शोषण, बहिष्कार और अपमान का सामना करना पड़ा। लेकिन इन तमाम सामाजिक बाधाओं को पार करते हुए दलित समाज के कई लोगों ने अपने संघर्ष, प्रतिभा और आत्मविश्वास के बल पर सफलता की ऊँचाइयों को छुआ। इनकी कहानियाँ आज

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📚 दलित साहित्य के जनक – अण्णाभाऊ साठे

दलित साहित्य भारतीय सामाजिक क्रांति का एक सशक्त माध्यम रहा है। इस आंदोलन की नींव रखने वाले और अपने सशक्त लेखन के ज़रिए समाज के पीड़ित-वंचित वर्ग की आवाज़ बनने वाले साहित्यकार हैं – लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे।उनका साहित्य केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि संघर्ष, विद्रोह और बदलाव का घोष रहा है। इस लेख में

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🕊️ सविता माई आंबेडकर – एक उपेक्षित व्यक्तित्व

जब भी हम डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के जीवन और संघर्ष की चर्चा करते हैं, तो उनके विचार, आंदोलन और क्रांति के साथ-साथ उनके निजी जीवन के पहलुओं पर कम ही ध्यान दिया जाता है। डॉ. आंबेडकर की दूसरी पत्नी – डॉ. सविता माई आंबेडकर – एक ऐसा नाम है, जिसने अंतिम क्षणों तक बाबासाहेब की

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🪔 भारत में जाति प्रथा समाप्त करने का एकमात्र उपाय – विपश्यना धम्म

भारत जैसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक देश में जाति प्रथा एक ऐसा घाव है, जो समाज को हजारों वर्षों से भीतर ही भीतर खा रहा है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने भी इसे मानवता के लिए अभिशाप कहा था। उन्होंने जीवनभर जातिव्यवस्थे के खात्मे के लिए संघर्ष किया और अंततः धम्म मार्ग को अपनाया।आज जब हम सामाजिक

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