योजना का उद्देश्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित विद्यार्थियों के लिए छात्रावास सुविधा प्रदान कराना है ताकि उन्हें माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाया जा सके । स्कीम के तहत लागत मानक इस प्रकार हैं-
क. पूर्वोत्तर क्षेत्र – 3.50 लाख रू0 प्रति सीट
ख. हिमालय क्षेत्र – 3.25 लाख रू0 प्रति सीट
ग. देश का शेष भाग – 3.00 लाख रू0 प्रति सीट
या संबंधित राज्य सरकार की दर अनुसूची के अनुसार जो भी कम हो।
क. स्कीम के तहत निर्मित छात्रावासों के लिए फर्नीचर/उपस्कर के लिए प्रति सीट 2500 रू का एकबारगी अनावर्ती अनुदान भी दिया जाएगा।
दिशा निर्देशों के अनुसार वित्तपोषण का प्रारूप इस प्रकार होगा-
- बालकों के लिए होस्टलों के निर्माण की लागत को केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा 60:40 के अनुपात में बांटा जाएगा। बालिका छात्रावासों मामले में यह अनुपात 90:10 है।
- संघ राज्य क्षेत्रों के मामले में, केन्द्रीय सहायता 100% मिलेगी और पूर्वोत्तर राज्यों को यह सहायता 90% मिलेगी ।
- बालक और बालिका छात्रवासों के लिए, केन्द्रीय विश्वविद्यालयों/संस्थानों के लिए, भारत सरकार द्वारा 90% हिस्सा दिया जाएगा और 10% हिस्सा केन्द्रीय विश्वविद्याल/संस्थान द्वारा वहन किया जाएगा।
- निजी विश्वविद्यालय/संस्थान तथा गैर-सरकारी संगठन लागत का 45% तक केन्द्रीय सहायता प्राप्त कर सकते है । शेष 55% हिस्सा राज्य सरकार और विश्वविद्यालय/संस्थान/गैर-सरकारी संगठन को 45:10 अनुपात में करना होगा ।
- अनुदान की राशि 50:45:5 के अनुपात में 3 किश्तों में रिलीज की जाएगी, जिसमें से 5% राशि कार्य पूरा होने और अन्य पिछड़े वर्गों के बालक और बालिकाओं द्वारा कमरों में रहने के बाद रिलीज की जाएगी ।
होस्टल का निर्माण-कार्य, कार्य-आदेश देने की तिथि से 18 महीनों के भीतर अथवा केन्द्रीय सहायता रिलीज करने की तिथि से दो वर्ष के भीतर, जो भी पहले हो, पूरा करना होगा । किसी स्थिति में समय सीमा 2 वर्ष के बाद नहीं बढ़ाई जाएगी । परियोजना में विलम्ब के कारण बढ़ी हुई लागत को राज्य/संस्थान द्वारा वहन किया जाएगा ।