मन बंधन का मूल
मन बंधन का मूल है, मन ही मुक्ति उपाय। विकृत मन जकड़ा रहे, निर्विकार खुल जाय ॥ मन के भीतर ही छिपी, स्वर्ग सुखों की खान । मन के भीतर धधकती, ज्वाला नरक समान ॥ कुदरत का कानून है, सब पर लागू होय । मैले मन व्याकुल रहे, निर्मल सुखिया होय ॥ अपने मन का […]



