“यदि हमें एकता बनाए रखनी है, तो हमें अपनी जातिगत भिन्नताओं को भूलना होगा” — डॉ. भीमराव आंबेडकर

भारत जैसे विविधता से भरपूर देश में एकता बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। यहाँ भाषा, धर्म, संस्कृति और जाति के हजारों रूप हैं। ऐसे में जब हमारे बीच की जातिगत भिन्नताएं हमें बांटने का कारण बन जाती हैं, तो देश की समृद्धि और विकास पर असर पड़ता है। इस संदर्भ में डॉ. भीमराव आंबेडकर का यह वाक्य अत्यंत प्रासंगिक और प्रेरणादायक है:

“यदि हमें एकता बनाए रखनी है, तो हमें अपनी जातिगत भिन्नताओं को भूलना होगा।”


जातिगत भेदभाव और उसका प्रभाव

भारत में जाति व्यवस्था सदियों पुरानी है। यह व्यवस्था हमारे समाज में कई बार असमानता, भेदभाव और अन्याय का कारण बनती रही है। जातिगत भिन्नताओं ने न केवल सामाजिक तालमेल को तोड़ा बल्कि आर्थिक और राजनीतिक विकास में भी बाधाएं खड़ी कीं।

डॉ. आंबेडकर ने सदैव इस विभाजन को दूर करने और सभी को समान अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया। उनका मानना था कि जब तक हम जातिगत भेदभाव को दिल से मिटा नहीं देते, तब तक देश की सच्ची एकता संभव नहीं।


एकता के लिए आंबेडकर का संदेश

आंबेडकर का यह कथन हमें एक गहरा संदेश देता है:

  • जाति से ऊपर उठो: हमें अपनी जाति, बिरादरी और वर्ग के बंधनों से ऊपर उठकर एक समरस समाज का निर्माण करना होगा।

  • समानता को अपनाओ: हर व्यक्ति को बराबरी का दर्जा देना होगा, चाहे उसकी जाति कोई भी हो।

  • साझा लक्ष्य पर ध्यान दो: देश की प्रगति और विकास के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा।

  • भेदभाव छोड़ो: जातिगत भेदभाव समाज में दरारें पैदा करता है, इसे छोड़ना होगा।


आज के संदर्भ में आंबेडकर का यह विचार

आज के आधुनिक भारत में भी जातिगत भेदभाव कहीं न कहीं बना हुआ है। हालांकि कानूनी और सामाजिक सुधार हुए हैं, फिर भी कई बार हम जाति के नाम पर अपने आप को बांट लेते हैं। अगर हम आंबेडकर के इस विचार को अपनाएं और जातिगत सीमाओं से ऊपर उठकर एक-दूसरे को समझें, तो समाज में सच्ची एकता और शांति आएगी।


निष्कर्ष

डॉ. भीमराव आंबेडकर का यह महान वाक्य हमें याद दिलाता है कि देश की एकता और सामंजस्य के लिए हमें अपनी जातिगत भिन्नताओं को भूलना होगा। तभी हम एक सशक्त, समृद्ध और प्रगतिशील भारत का निर्माण कर पाएंगे।

आइए, हम सब इस संदेश को दिल से अपनाएं और एक ऐसी दुनिया बनाएं जहां जाति की दीवारें गिरें और मानवता का सच्चा उजाला फैलें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *