डॉ. बी.आर. अंबेडकर को अक्सर सिर्फ “संविधान के जनक” के रूप में याद किया जाता है, लेकिन उनका जीवन इससे कहीं ज्यादा गहरा और प्रभावशाली था। वह सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक बहु-आयामी व्यक्तित्व थे जिनके योगदान ने भारत की नींव को मजबूत किया।
क्या आप जानते हैं कि वह भारत में श्रम सुधारों के भी अग्रणी थे? उन्होंने ही 8 घंटे के कार्य दिवस का प्रस्ताव रखा, जो आज भी कामगारों के लिए एक बड़ा अधिकार है। उन्होंने महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ, कर्मचारियों के लिए ओवरटाइम और समान काम के लिए समान वेतन जैसे महत्वपूर्ण कानून भी बनाए।
इसके अलावा, वह एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनकी थीसिस ‘The Problem of the Rupee‘ ने भारतीय मुद्रा की समस्या पर गहरा विश्लेषण किया था, जिसने बाद में RBI की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
अंबेडकर का मानना था कि एक मजबूत राष्ट्र के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय दोनों जरूरी हैं। उनका ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो’ का नारा सिर्फ दलितों के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए था जो अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहता है।
इसलिए, जब हम बाबासाहेब को याद करते हैं, तो हमें उनके पूरे व्यक्तित्व को समझना चाहिए – एक शिक्षाविद्, एक अर्थशास्त्री, एक समाज सुधारक और एक ऐसे व्यक्ति के रूप में, जिसने हर मुश्किल का सामना करते हुए एक बेहतर भारत का सपना देखा।