बिरसा मुंडा की जीवनी

🟢 पूरा नाम: बिरसा मुंडा

🟢 जन्म: 15 नवंबर 1875

🟢 जन्म स्थान: उलिहातु गाँव, खूंटी जिला, झारखंड (तत्कालीन बिहार)

🟢 मृत्यु: 9 जून 1900 (केवल 25 वर्ष की उम्र में), रांची जेल

🟢 धर्म: आदिवासी / बाद में ‘बिरसाइट’ पंथ की स्थापना

🟢 परिवार: मुंडा जनजाति से संबंधित


🔸 परिचय:

बिरसा मुंडा भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी, जननायक और आदिवासी समुदाय के गौरव थे। उन्होंने अंग्रेजों और ज़मींदारों के शोषण के खिलाफ संघर्ष किया और ‘उलगुलान’ (विद्रोह) का नेतृत्व किया।


🔸 प्रारंभिक जीवन:

बिरसा का जन्म एक गरीब लेकिन प्रतिष्ठित मुंडा परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही बुद्धिमान और तेजस्वी थे। वे थोड़े समय के लिए जर्मन मिशन स्कूल में पढ़े लेकिन बाद में उन्होंने ईसाई धर्म त्याग दिया और आदिवासी परंपरा को अपनाया।


🔸 धार्मिक और सामाजिक जागरूकता:

बिरसा ने देखा कि अंग्रेजों और मिशनरियों द्वारा आदिवासी संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है। उन्होंने लोगों को ईश्वर के नाम पर भयभीत करना और ज़मींदारी प्रथा से उनका शोषण होते देखा। उन्होंने ‘धरती आबा’ (पृथ्वी पिता) के रूप में खुद को स्थापित किया और लोगों को संगठित किया।


🔸 बिरसा आंदोलन (उलगुलान):

1895 से लेकर 1900 तक बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ ‘उलगुलान’ नामक सशस्त्र आंदोलन चलाया। उनका उद्देश्य था:

  • आदिवासियों को ज़मीन का हक दिलाना

  • जंगल-जमीन पर आदिवासियों का अधिकार बनाए रखना

  • ज़मींदारों, साहूकारों और मिशनरियों का विरोध

  • आदिवासी संस्कृति, धर्म और पहचान की रक्षा करना


🔸 गिरफ्तारी और मृत्यु:

बिरसा मुंडा को 3 फरवरी 1900 को धोखे से गिरफ्तार किया गया। कुछ ही महीनों बाद 9 जून 1900 को रांची जेल में रहस्यमयी परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। अंग्रेजों ने कहा कि उन्हें हैजा हुआ, लेकिन इस पर संदेह बना रहा।


🔸 विरासत और सम्मान:

  • बिरसा मुंडा को ‘भगवान’ की उपाधि दी गई – आज भी लाखों आदिवासी उन्हें धरती के भगवान मानते हैं।

  • 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस और बिरसा मुंडा जयंती के रूप में मनाया जाता है।

  • उनके नाम पर बिरसा मुंडा एयरपोर्ट (रांची), यूनिवर्सिटी, हॉस्पिटल और स्टेडियम हैं।

  • भारत सरकार ने बिरसा मुंडा की स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया है।

  • 2021 में केंद्र सरकार ने ‘जनजातीय गौरव दिवस’ की शुरुआत बिरसा मुंडा की जयंती पर की।


🔸 प्रमुख नारे / विचार:

  • “अबुआ दिशुम अबुआ राज”
    (हमारा देश, हमारा राज)

  • “धरती हमारी है, इसे कोई नहीं छीन सकता।”


🔸 निष्कर्ष:

बिरसा मुंडा न केवल स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे, बल्कि वे भारत में आदिवासी चेतना, सामाजिक न्याय और आत्मगौरव के प्रतीक हैं। उनका जीवन और बलिदान हमें अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है।