Month: May 2021

विपश्यना और कोरोना

प्रश्न: कोरोना महामारी के समय में भय का सामना कैसे करें? धम्म महावना विपश्यना सेंटर, कैलिफोर्निया के टीचर श्री जाॅन बिअरी जी का उत्तर … John Beary: एक वायरस संक्रामक हो सकता है l उसी तरह आपका भय भी संक्रामक है l हम वायरस के संक्रमण के माध्यम तो हो सकते हैं, पर भय फैलाने …

विपश्यना और कोरोना Read More »

जीवन का चमत्कार – भारतीय फिल्म अभिनेत्री शशिकला

सन १९७१-७२ मेरे जीवन का बहुत संकटपूर्ण समय था। मैंने सफल अभिनेत्री की समृद्ध आजीविका का त्याग किया था, इस दृढ़ निश्चय के साथ कि अब इस जीवन में फिर नहीं लौटना है। जो थोड़ी-बहुत पूंजी मैंने बचा रखी थी वह भी उनको बांट दी जिनके प्रति मेरी जिम्मेदारियां थीं। मैंने इस आशा से एक …

जीवन का चमत्कार – भारतीय फिल्म अभिनेत्री शशिकला Read More »

“कर्म संस्कार”

पाप के गहरे संस्कार जन्म जन्मांतरों तक हमारे शत्रु की तरह साथ लगे रहते हैं, और दुखद स्थितियां पैदा करते रहते हैं। इसी प्रकार गहरे पूण्य संस्कार हमारे मित्र की तरह जन्म जन्मांतरों तक चित्तधारा के साथ लगे रहते हैं और हमारी सहायता करते हैं, सुखद फल देते हैं। संकट में हमारी रक्षा करते हैं। …

“कर्म संस्कार” Read More »

जैसा बीज वैसा फल

जो व्यक्ति सम्यक संबुद्ध बना, अरहंत बना, वीतराग, वीतद्वेष, वीतमोह, भवमुक्त बना । उसके जीवन की चार महत्त्वपूर्ण घटनाएं -वह बोधिसत्त्व के रूप में राजकुमार सिद्धार्थ गौतम के नाम से शाक्यों के घर में जन्मा। राजकुमार है, पर किसी राजमहल में नहीं जन्मा। जन्मा किसी पेड़ के तले, खुली प्रकृति में, खुले आसमान के तले …

जैसा बीज वैसा फल Read More »

भगवान बुद्ध ने धर्म सिखाया, बौद्धधर्म नहीं!

लगभग पच्चीस वर्ष पूर्व जब मैं अमेरिका में धर्म सिखाने के लिए गया तब किसी ने मेरा इंटरव्यू लिया और पूछा कि मैंने अब तक कितने लोगों को बौद्ध बनाया हैं ? मैंने उत्तर दिया — एक को भी नहीं । इस पर पूछा गया — क्या आप बौद्धधर्म नहीं सिखाते ? –बिल्कुल नहीं । …

भगवान बुद्ध ने धर्म सिखाया, बौद्धधर्म नहीं! Read More »

शील की परिशुद्धता

शील, समाधि, प्रज्ञा; शील, समाधि, प्रज्ञा – इसमें सारा धर्म समा गया। धर्म की परिभाषा पूर्णतः समा गयी। धर्म की परिशुद्धता समा गयी। शील का पालन करें याने सदाचार का जीवन जीयें और सदाचार का जीवन जीने के लिए समाधि का अभ्यास करें याने मन के मालिक बन जाने का अभ्यास करें। और इतना ही …

शील की परिशुद्धता Read More »

आर्ये अष्टांगिक मार्ग सुत्त

एक समय भगवान श्रावस्ती में अनाथपिण्डक के बनाये आराम जेतवन में विहार करते थे l वहाँ भगवान ने भिक्षुओ को आमंत्रित किया , भिक्षुओ ! आर्ये अष्टांगिक मार्ग का विभाग कर उपदेश करुँगा l उसे सुनो… भदन्त ! कह कर उन भिक्षुओ ने भगवान का उत्तर दिया। भगवान बोले, भिक्षुओ आर्ये अष्टांगिक मार्ग क्या हैं …

आर्ये अष्टांगिक मार्ग सुत्त Read More »

पगोडाः कृतज्ञता का प्रतीक

म्यंमा के दो श्रद्धालु व्यापारी जब भगवान बुद्ध की केशधातु लेकर अपने देश लौटे तब वहां के लोगों ने श्रद्धापूर्वक इस केशधातु को श्वेडगोन पहाड़ी पर सन्निधानित कर एक पगोडा बनाया। उसके साथ-साथ शहर में सूले पगोडा बना और तट पर बोटठाऊ पगोडा बना। उस समय हो सकता है कि किसी सिरफिरे अदूरदर्शी ने इन …

पगोडाः कृतज्ञता का प्रतीक Read More »

सद्धर्म की शुद्धता 

भारत में भगवान बुद्ध का सद्धर्म क्यों और कैसे लुप्त हुआ, इसे समझने के लिए दो हजार वर्ष पूर्व के इतिहास का निरीक्षण करना होगा। उस समय तक भिक्षुओं में सेक्ख भी थे और असेक्ख भी। सेक्ख माने वह जो अभी सीख रहा है। असेक्ख माने वह जो अरहंत हो गया। यानी जिसे सीखने के …

सद्धर्म की शुद्धता  Read More »

सद्धर्म की शुद्धता

भारत में भगवान बुद्ध का सद्धर्म क्यों और कैसे लुप्त हुआ, इसे समझने के लिए दो हजार वर्ष पूर्व के इतिहास का निरीक्षण करना होगा। उस समय तक भिक्षुओं में सेक्ख भी थे और असेक्ख भी। सेक्ख माने वह जो अभी सीख रहा है। असेक्ख माने वह जो अरहंत हो गया। यानी जिसे सीखने के …

सद्धर्म की शुद्धता Read More »